आरयू वेब टीम। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गुजरात हाई कोर्ट को लेकर एक तीखी टिप्पणी की गई है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई भी कोर्ट किसी उच्च अदालत के फैसले के खिलाफ आदेश पारित करती है तो ये संवैधानिक सिद्धांत के खिलाफ है। गुजरात हाई कोर्ट के एक फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ये कड़ी टिप्पणी की। दरअसल गुजरात हाई कोर्ट ने एक रेप पीड़िता की याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया था, जिसमें उसने कोर्ट से अबॉर्शन की इजाजत मांगी थी।
इस मामले में गुजरात हाई कोर्ट ने फैसला सुना दिया, जबकि सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई होनी थी। इसे आज (21 अगस्त) के लिए लिस्ट किया गया था। जैसे ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई शुरू की तो गुजरात हाई कोर्ट के फैसले का जिक्र हुआ। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने गुजरात हाई कोर्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा कि गुजरात हाई कोर्ट में आखिर क्या हो रहा है? भारत में कोई भी कोर्ट उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ कोई भी फैसला नहीं सुना सकती है। ये संवैधानिक सिद्धांत के खिलाफ है।
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सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर नाराजगी जताने के बाद गुजरात सरकार की तरफ से इस पर सफाई पेश की गयी। गुजरात सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जो आदेश इस मामले में पारित किया गया था वो सिर्फ पिछले आदेश में हुए क्लेरिकल एरर को ठीक करने के लिए था। उन्होंने कोर्ट को बताया कि ये सिर्फ एक गलतफहमी थी। साथ ही बताया कि राज्य सरकार के तौर पर जज से आदेश को वापस लेने की अपील की जाएगी।