आरयू वेब टीम। देश की सबसे बड़ी अदालत ने नागरिकता संशोधन कानून पर दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। इस मामले में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा, ”हमें देखना होगा कि क्या एक्ट पर स्टे दिया जा सकता है?” नागरिकता संशोधन कानून की वैधता का परीक्षण सुप्रीम कोर्ट करेगा।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की खंडपीठ ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के कार्यान्वयन को रोकने से इनकार करते हुए कहा कि मामले में चुनौती देने वाली कुल 60 याचिकाओं पर वह 22 जनवरी को सुनवाई करेंगे।
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बता दें कि याचिका दाखिल करने वाले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश, इंडियन मुस्लिम लीम और असम में सत्तारुढ़ भाजपा की सहयोगी पार्टी असम गण परिषद शामिल हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने नए कानून को अपनी व्यक्तिगत क्षमता में चुनौती दी है। उन्होंने 13 दिसंबर को याचिका दायर की थी। वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इसे तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए उल्लेख किया था और कहा कि इस याचिका को इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आइयूएमएल) द्वारा दायर की गई याचिका के साथ ही सुना जाना चाहिए।
इस कानून के मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न सहने वाले और 31 दिसंबर 2014 तक आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध शरणार्थी नहीं, बल्कि भारतीय नागरिक माना जाएगा। याचिकाकर्ता का कहना है कि नागरिकता देने के लिए धर्म को आधार नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने नए कानून को संविधान के खिलाफ बताया है।
इस नए कानून का पूरे देश में जगह-जगह विरोध हो रहा है। दिल्ली में जामिया के बाद मंगलवार को सीलमपुर इलाके में हिंसक प्रदर्शन हुए। संशोधित नागरिकता कानून पर राजनीतिक लड़ाई मंगलवार को और तेज हो गई जब विपक्षी दलों ने ‘विभेदकारी’ कानून के खिलाफ राष्ट्रपति से गुहार लगाई, जबकि गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ‘चाहे जो हो’ तीन पड़ोसी देशों के गैर मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता मिलेगी।