रंजन गोगोई बने भारत के 46वें चीफ जस्टिस, जानें इनसे जुड़ी कुछ खास बातें

रंजन गोगोई
रंजन गोगोई को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाते रामनाथ कोविंद।

आरयू वेब टीम। 

जस्टिस रंजन गोगोई ने बुधवार को देश के चीफ जस्टिस पद की शपथ ली। उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्‍ट्रपति भवन में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई है। इसी के साथ वो भारत के 46वें मुख्य न्यायाधीश बन गए हैं। न्यायधीश गोगोई इस पद पर पहुंचने वाले पूर्वोत्तर भारत के पहले चीफ जस्टिस हैं। असम में नागरिकता रजिस्टर बनाने का फैसला देने वाले जस्टिस गोगोई का बतौर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के तौर पर कार्यकाल 13 महीने यानी 17 नंवबर, 2019 तक रहेगा।

उल्‍लेखनीय है कि रंजन गोगोई की छवि बेहद सख्त और ईमानदार जज की रही है। उनकी सख्त छवि उस वक्‍त और उभरकर सामने आई, जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मार्कंडेय काटजू को अवमानना के एक मामले में कोर्ट में तलब कर लिया। दरअसल जस्टिस काटजू ने केरल के सौम्या बलात्कार कांड में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बेहद तल्ख लहजे में आलोचना की थी। इस मामले में दोषी गोविंदसामी को कोर्ट ने सिर्फ रेप का दोषी माना था। हत्या के आरोप से मुक्‍त कर दिया था। फैसले के बाद काटजू ने इसे देने वाले जजों की समझ पर सवाल उठाए थे।

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जिसके बाद जस्टिस गोगोई ने इसे अदालत की अवमानना की तरह लिया और काटजू को कोर्ट में पेश होने के लिए नोटिस जारी कर दिया। इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ, जब सुप्रीम कोर्ट का कोई पूर्व जज कोर्ट में इस तरह से पेश हुआ हो। हालांकि, बाद में वकीलों की दरख्वास्त पर जस्टिस गोगोई ने काटजू को चेतावनी देकर जाने दिया।

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वहीं बीती 12 जनवरी को प्रेसवार्ता करने वाले सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों में जस्टिस रंजन गोगोई भी शामिल थे। इस प्रेसवार्ता में जजों ने सुप्रीम कोर्ट में काम के आवंटन पर सवाल उठाकर देश भर में हलचल मचा दी थी।

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रंजन गोगोई के बारे में आपको बताते चलें कि ये असम के पूर्व मुख्यमंत्री केशव चंद्र गोगोई के बेटे हैं, उन्होंने दिल्ली विश्‍वविद्यालय से इतिहास की पढ़ाई की है। जस्टिस गोगोई साल 2001 में गुवाहाटी हाईकोर्ट के जज बने थे। साल 2011 में वो पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी रहे। जिसके अगले साल 2012 में उन्‍हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया था।