आखिरकार किसान घाट पहुंचकर समाप्‍त हुई क्रांति पदयात्रा, किसानों ने कहा सभी मांगों पर मिला आश्‍वासन

किसान क्रांति पदयात्रा

आरयू वेब टीम।

मंगलवार को भारी बवाल के बाद बीती रात ‘किसान क्रांति पदयात्रा’ दिल्ली के किसान घाट पहुंचकर खत्म हो गई। यूपी-दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के डेरा डालने के बाद रात करीब एक बजे किसानों को दिल्ली में एंट्री की इजाजत मिल गई, जिसके बाद वे पूर्व प्रधानमंत्री और किसान नेता चौधरी चरण सिंह की स्मृति स्थल किसान घाट पहुंचे। कुछ समय वहां बिताने के बाद आज भोर में करीब चार बजे किसानों ने दिल्‍ली से वापस यूपी की ओर लौटना शुरू कर दिया। जिसके बाद पुलिस-प्रशासन व सरकार ने राहत की सांस ली।

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सभी मांगों पर सरकार से आश्‍वासन मिल गया है। सरकार ने एक प्रतिनिधिमंडल गठित करने की बात कही है, जो सभी मांगों पर विचार करेगा। साथ ही हमारा लक्ष्‍य था किसान क्रांति पदयात्रा को पूरा करना जिसे पूरा किया गया।

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उल्‍लेखनीय है कि मंगलवार को सरकार के साथ किसानों की वार्ता हुई थी, लेकिन बात नहीं बन सकी। कुल 11 में से चार मांगें सरकार के सामने अटक गईं। किसानों से सुलह के लिए केंद्र सरकार की ओर से राज्यमंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत आगे आए फिर भी बात नहीं बनीं।

इस भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्‍ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार की मंशा किसानों की बात मानने की नहीं है। टिकैत ने कहा था कि सरकार के साथ वार्ता नाकाम रही, इसलिए गाजीपुर बॉर्डर पर किसान रातभर प्रदर्शन करेंगे। जिसके बाद सरकार काफी दबाव में आ गयी थी।

इन मांगों पर अटका था मामला

भाकियू के नेता युद्ववीर सिंह ने मीडिया को बताया कि किसानों की 11 मांगें रखी गयी थीं, जिनमें से सात मांगों पर केंद्र सरकार सहमत है, लेकिन चार मांगों पर सहमत नहीं है। जबकि हमारी प्रमुख मांगों में पूर्ण कर्ज माफी और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सी2 में 50 फीसदी जोड़कर तय करने की है।

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इन पर बनी थी बात

केंद्र सरकार ने एमएसपी निर्धारण के लिए कानून बनाने की मांग पर हामी भरी है। कृषि एवं कृषि उत्‍पादों पर जीएसटी पांच फीसद करने पर रजामंदी हुई है। सरकार ने एनजीटी के मुद्दे पर नई समिति बनाने का एलान किया है। इंश्‍योरेंस बिल में संशोधन पर भी सहमति बनी है। गन्‍ना किसानों की मुश्किलों को ध्यान में रखकर गन्ना मूल्‍य निर्धारण पर भी आम सहमति बन गई है।

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