आरयू वेब टीम।
अपनी मांगों को लेकर हरिद्वार से चला हजारों किसानों का काफिला मंगलवार को दिल्ली की सरहद पर पहुंचा। किसानों को रोकने के लिए सुरक्षाबलों ने दिल्ली-उत्तर प्रदेश बॉर्डर भारी बैरिकैडिंग की थी, जिसे तोड़ते हुए किसान के हुजूम ने दिल्ली में घुसने का प्रयास किया, जिसे लेकर किसानों और पुलिस के बीच झड़प हुई।
किसानों ने जैसे ही बैरियर को तोड़ा वैसे ही सुरक्षाबलों ने वॉटरकैनन के साथ-साथ आंसू गैस के गोले दागने लगे। इस दौरान किसानों पर लाठीचार्ज भी किया गया। जिसकी वजह से बड़ी संख्या में किसान जख्मी हुए हैं। वहीं भगदड़ और झड़प के बीच किसान दिल्ली में घुसने के लिए अमादा हैं, वहीं पुलिस व पीएसी की टीमें उन्हें रोकने में अपने पूरी ताकत झोकें हैं।
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राष्ट्रीय राजधानी की ओर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोंडा, बस्ती और गोरखपुर जैसे दूर-दराज की जगहों के साथ-साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गन्ना क्षेत्र से आये किसानों की भीड़ नजर आ रही थी।
उत्तर प्रदेश से लगने वाली सीमा पर स्थित पुलिस चौकियों में निषेधाज्ञा लागू होने के कारण पांच या अधिक लोगों के एकत्र होने, किसी तरह की सार्वजनिक बैठक आयोजित करने, एम्प्लीफायर, लाउडस्पीकर और इसी तरह के किसी अन्य उपकरणों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गयी है।
बता दें कि हरिद्वार में टिकैत घाट से 23 सितंबर को शुरू हुई किसान क्रांति यात्रा में उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से किसान शामिल होते गये। ये लोग पैदल, बसों में या फिर ट्रैक्टर ट्रॉलियों में सवार होकर आए हैं। इन लोगों के हाथों में भारतीय किसान यूनियन के बैनर हैं। इस यूनियन ने अपनी मांगों पर दबाव बनाने के लिए मार्च का आह्वान किया है।
मेरठ से आये एक किसान हरमिक सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘हम सरकार से कोई भीख नहीं मांग रहे हैं। हम अपना अधिकार मांग रहे हैं।’ उन्होंने बताया कि किसान बिजली की ऊंची दरों और आसमान छूती ईंधन की कीमतों के कारण संकट में हैं। उन्होंने कहा, ‘आपको 500 रूपये का गैस ठीक लगता है क्या?’
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एक अन्य किसान ने दावा किया कि तीन लाख से अधिक किसान राजघाट की ओर मार्च कर रहे हैं। उनकी मांगों की सूची में बिना शर्त ऋण माफी, गन्ना मिलों का बकाया भुगतान करना, फसलों का अधिकतम मूल्य दिया जाना, खेतों के लिए मुफ्त बिजली और डीजल के दामों में कटौती शामिल है।