आरयू वेब टीम।
इंदु मल्होत्रा की जज के रूप में नियुक्ति के वांरट पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया है। साथ चीफ जस्टिस ने सवाल करते हुए कहा कि ये कैसी जनहित याचिका है? केंद्र सरकार अगर सिफारिश को वापस भेजती है तो ये उसके अधिकार क्षेत्र में है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कॉलेजियम दोबारा इस सिफारिश को भेजता है तो विवाद खत्म हो जाएगा।
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वहीं इस संबंध में चीफ जस्टिस ने इंदिरा जय सिंह से कहा कि ये अर्जी अकल्पनीय, सोच से बाहर और कभी नहीं सुनी नहीं गई है। जय सिंह ने आगे कहा था कि ‘हम करीब सौ वकील याचिका दाखिल कर रहे हैं और सरकार के फैसले को चुनौती दे रहे हैं कि कैसे सरकार जस्टिस के एम जोसफ का नाम इंदू मल्होत्रा से अलग किया गया। ये गैर कानूनी है। इंदू की नियुक्ति के वारंट पर रोक लगे।
सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर इंदिरा जय सिंह और चीफ जस्टिस के बीच गर्मागर्म बहस हुई। चीफ जस्टिस ने कहा कि आप सुबह कठुआ मामला लेकर आईं तो हमें लगा कि आप ऐसे गंभीर मामलों पर चिंतित हैं, लेकिन अब आप ये मुद्दा लेकर आई हैं। आप के बीच की महिला वकील सुप्रीम कोर्ट की जज बन रही हैं और आप इसे रोकने को कह रही हैं?
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के करीब 100 वकीलों ने याचिका दाखिल कर इंदु मल्होत्रा की नियुक्ति वाले वारंट को रद्द करने की मांग की थी। इतना ही नहीं, इस मामले पर अब कांग्रेस और बीजेपी भी आमने-सामने आ गई है।
बता दें कि न्यायमूर्ति जोसेफ और मल्होत्रा के संबंध में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की फाइल 22 जनवरी को कानून मंत्रालय को मिली थी। मल्होत्रा की नियुक्ति को मंजूरी देने के बाद अब सरकार ने न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पदोन्नति रोके रखने का फैसला किया है। न्यायमूर्ति जोसेफ उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं और प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार ने जस्टिस जोसेफ की सिफारिश पर पुनर्विचार करने के लिए कॉलेजियम को कहा है।
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