तरुण तेजपाल को सुप्रीम कोर्ट से झटका, रेप आरोप रद्द करने की अपील खारिज, SC ने दिए ये आदेश

तरुण तेजपाल
तरुण तेजपाल। (फाइल फोटो)

आरयू वेब टीम। यौन शौषण के मामले में घिरे पत्रकार तरुण तेजपाल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तेजपाल की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने निचली कोर्ट में तय हुए बलात्कार के आरोप खारिज करने की मांग की थी।

सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने सुनवाई के दौरान साफ किया कि उनके ऊपर यौन शोषण का केस चलता रहेगा। कोर्ट ने निचली अदालत को छह महीने में ट्रायल पूरा करने को कहा है। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। पिछली सुनवाई में ही सुप्रीम कोर्ट ने तेजपाल के वकील पूछा था कि अगर उनके खिलाफ यौन शौषण का आरोप झूठा है, तो उन्होंने सहकर्मी से माफी क्यों मांगी? वकील ने कहा था कि तेजपाल पर लगे आरोप में कोई सच्चाई नहीं है।

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इस पर कोर्ट ने पूछा था कि यदि आरोप झूठे थे, तो उन्होंने उस घटना के बाद पत्र लिखकर अपने सहकर्मी से माफी क्यों मांगी थी। कुछ नहीं हुआ तो माफी नहीं मांगनी चाहिए थी। कुछ तो हुआ होगा, तेजपाल के वकील विकास सिंह ने कहा था कि सीसीटीवी फुटेज के अनुसार शिकायतकर्ता ने तेजपाल का पीछा किया था। उन्होंने कहा था कि पुलिस कुछ व्हाट्सएप मैसेज छिपा रही है, जिससे साबित हो जाएगा कि आरोप गलत है।

मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने तेजपाल पर कई सवाल भी उठाए थे और कहा था कि जिस तरह के आरोप लगे हैं, उन्हें देखने के बाद धरती पर कोई भी उन्हें आरोपमुक्‍त नहीं कर सकता है। इससे पहले, छह दिसंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने गोवा की निचली अदालत को मामले में ट्रायल जारी रखने के आदेश दिए थे।

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गौरतलब है कि गोवा की अदालत ने 29 सितंबर 2017 को पूर्व महिला सहयोगी के यौन उत्पीड़न और रेप के आरोपी तहलका के संपादक तरुण तेजपाल के खिलाफ आरोप तय किए थे। कोर्ट ने कहा था कि तेजपाल पर रेप का मामला भी चलेगा। तेजपाल ने अपना अपराध स्वीकार करने से इनकार कर दिया था।

इस मामले में तेजपाल के वकील ने बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा बेंच में मापसा कोर्ट की कार्रवाई को रोकने के लिए अर्जी दी थी। मगर हाईकोर्ट ने उस अर्जी को खारिज करते हुए मापसा कोर्ट को तेजपाल पर आरोप तय करने के आदेश दिए थे, हालांकि हाईकोर्ट ने मापसा अदालत को इस केस से संबंधित गवाहों की जांच करने से रोक दिया था।

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