केंद्र सरकार का फैसला, स्वास्थ्यकर्मियों पर हुए हमले तो होगी सात साल की सजा, वसूला जाएगा दोगुना मुआवजा

मोदी की कैबिनेट
फाइल फोटो।

आरयू वेब टीम। कोरोना वायरस के खिलाफ जारी लड़ाई में अग्रिम मोर्चे पर तैनात स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले कीी देश के विभिन्न हिस्सों से आ रही खबरों के बीच केंद्र सरकार ने आज एक बड़ा फैसला लिया है। केंद्र सरकार ने अध्यादेश जारी किया है कि मेडिकल टीम पर हमला करने वालों को तीन महीने से पांच साल तक सजा होगी और 50 हजार से लेकर दो लाख रूपये तक का जुर्माना भरना होगा। अगर गंभीर हानि/चोट होगी तो छह महीने से सात साल तक की सजा और एक लाख ये पांच लाख तक जुर्माना देना होगा।

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने एक प्रेसवार्ता में जानकारी देते हुए कहा कि कुछ लोग मेडिकल टीम पर हमला कर रहे हैं और कुछ उन्हें महामारी का कैरियर समझ रहे हैं। इस देश को महामारी के संकट से बचाने के लिए स्वास्थ्यकर्मी दिन-रात काम कर रहे हैं और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्हें हमलों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इन कर्मियों के खिलाफ हिंसा बर्दाश्त नहीं होगी।

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बैठक में लिए फैसलों की जानकारी देते हुए जावेड़कर ने कहा कि महामारी रोग अधिनियम, 1897 में संशोधन कर अध्यादेश लागू किया जाएगा। ऐसा अपराध अब संज्ञेय और गैर-जमानती होगा। उन्होंने बताया कि इस तरह के आरोपियों के खिलाफ 30 दिनों के अंदर मुकदमा चलना शुरू हो जाएगा और एक साल के अंदर फैसला आ जाएगा। आरोपित को तीन महीने से पांच साल तक की सजा हो सकती है और दो लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। साथ ही अगर स्वास्थ्य कर्मी की गाड़ी का या कोई अन्य नुकसान हुआ है तो इसके लिए हमला करने वाले से मार्केट दर से दोगुना मुआवजा लिया जाएगा।

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