आरयू वेब टीम। अहमदाबाद में सीबीआइ की विशेष अदालत ने बुधवार को पुलिस अधिकारियों जीएल सिंघल, तरुण बारोट और अंजू चौधरी को 2004 में इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले में बरी कर दिया है। ये तीनों अधिकारी ही इस केस में आखिरी तीन आरोपित थे, जिन्हें बरी कर दिया गया है। इसके अलावा अन्य कुछ अधिकारियों को पहले ही कोर्ट से बरी किया जा चुका है। जून 2004 में गुजरात पुलिस पर इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्राणेश पिल्लई और दो अन्य लोगों के फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगा था।
मामले की सुनवाई करते हुए स्पेशल सीबीआइ जज वीआर रावल ने कहा, ‘प्रथम दृष्ट्या जो रिकॉर्ड सामने रखा गया है, उससे ये साबित नहीं होता कि इशरत जहां समेत चारों लोग आतंकी नहीं थे।’ इशरत जहां, प्राणेशष पिल्लई, अमजद अली राणा और जीशान जौहर की 15 जून, 2004 को अहमदाबाद के बाहरी इलाके में गुजरात पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम से मुठभेड़ हुई थी। इसमें चारों मारे गए थे।
कोर्ट ने अपने अक्टूबर 2020 के आदेश में कहा था कि उन्होंने अपने आधिकारिक कर्तव्यों में काम किया था, इसलिए अभियोजन स्वीकृति प्राप्त करने के लिए जांच एजेंसी की आवश्यकता थी।
गौरतलब है कि इस एनकाउंटर को अहमदाबाद के डिटेक्शन ऑफ क्राइम ब्रांच यूनिट के वंजारा लीड कर रहे थे। पुलिस का कहना था कि ये चारों लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रच रहे थे। इस केस में सीबीआइ ने 2013 में चार्जशीट दाखिल की थी और उसमें सात पुलिस अधिकारियों को आरोपी बताया था।
बता दें कि इशरत जहां 19 साल की लड़की थी। इशरत पर आतंकी होने का शक था इसलिए 15 जून 2004 को अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने एक एनकाउंटर किया था, जिसमें इशरत और उसके तीन साथी जावेद शेख उर्फ प्राणेश पिल्लई, अमजदली अकबरली राणा और जीशान जौहर की मौत हो गई थी। हालांकि एक हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल ने निष्कर्ष निकाला कि मुठभेड़ फर्जी थी, जिसके बाद सीबीआइ ने विभिन्न पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया।