आरयू ब्यूरो
लखनऊ। एक तरफ विरोधी कानून-व्यवस्था को लेकर अखिलेश सरकार पर लगातार हमले कर रहे हैं दूसरी ओर प्रदेश की राजधानी में ही जंगलराज कायम है, श्रवण साहु की दुस्साहासिक हत्या से बाद चर्चा में चल रही राजधानी पुलिस पर उसकी करतूत के चलते एक दाग और लग गया।
कल शाम पारा इलाके के भभटा मऊ में घर से टीवी देखने निकली सात साल की बच्ची की आज गांव के ही तालाब में लाश मिली। बच्ची की सलवार लाश से कुछ दूरी पर पड़ी थी। लाश की स्थिति देखने के बाद समझा जा रहा है कि दरिंदों ने बच्ची के साथ हैवानियत दिखाने के बाद उसे मौत के घाट उतार दिया।
ग्रामीणों की सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। बच्ची के पिता के शंक जताने पर पुलिस इलाके के ही एक युवक को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है।
मूल रूप से उन्नाव जिले के बंगर मऊ क्षेत्र का विनोद रावत, पत्नी शालिनी व तीन बेटियों सुमन(7) रानी(3) और कुसुम(2) के साथ किराए का कमरा लेकर भभटा मऊ में रहता था (सभी नाम काल्पनिक)। विनोद मजदूरी जबकि पत्नी उसका हाथ बंटाने के लिए घरों में झाड़ू-पोछा करती है।
कल शाम सात बजे सुमन पास में ही मकान मालिक के घर टीवी देखने गई थी। एक घंटे के बाद वह वापस लौट रही थी, तभी हैवानों ने रानी का अपहरण कर घटना को अंजाम दे दिया।
विनोद ने बताया कि काफी देर हो जाने के बाद जब बेटी घर नहीं लौटी तो उन लोगों ने परिचितों में खोजबीन के बाद रात दस बजे सौ नम्बर पर इसकी सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने पीडि़त के साथ रात में बच्ची को ढ़ूढने के साथ ही संदेह के आधार इलाके के ही सोना विहार गांव निवासी मुशीर को हिरासत में लेकर पूछताछ ही कर रही थी कि आज सुबह विनोद के घर से करीब एक किलोमीटर दूर स्थित तालाब में ग्रामीणों ने उसे मासूम की लाश मिलने की जानकारी दी। मौके पर पहुंचे मां-बाप ने बच्ची के लाश की हालत देखकर रोना-पीटना शुरू कर दिया।
सुबह मिली लाश शाम को भेजा पंचायतनामा, दूधमुंही बच्ची के साथ सिसकते रहे मां-बाप
हाईटेक होने के दम भरने वाली राजधानी पुलिस बेहद संगीन मामले में भी किस तरह से लापरवाह और संवेदनहीन है इसका उदाहरण आज एक बार फिर देखने को मिला। रात से जिस बच्ची को ढ़ूढने का दावा पारा पुलिस का रही है, समाज को शर्मसार कर देने वाली स्थिति में आज सुबह उसकी लाश मिलती है। पुलिस लाश को मां-बाप और एक महिला कांस्टेबल के साथ पोस्टमॉर्टम के लिए भेजने के बाद भूल जाती है कि पीएम शाम पांच बजे तक ही होता है।
यहीं वजह है कि पंचायतनामा शाम छह बजे मॉच्युरी पहुंचने पर प्रभारी पीएम कराने में असमर्थता जता देते है। जिम्मेदारों की इस शर्मनाक लापरवाही के चलते रात तक मां-बाप पोस्टमॉर्टम हाउस के बाहर बैठकर सिसकते रहे। घटना का एक दुखद पहलू यह भी रहा कि इस दौरान उनकी गोद में दो साल की मासूम बच्ची भी थी। जो रहरह कर भूख से बेचैन हो रही थी।
पारा इंस्पेक्टर एसएन सिंह की माने तो उन्होंने अपनी ओर से कागज तैयार कराने की पूरी कोशिश की थी। इंस्पेक्टर की बात मानकर अगर इसे राजधानी के हाइटेक पुलिस की तेजी से जोड़ा जाए तो यह न सिर्फ शर्मनाक मामला है बल्कि लापरवाही के बाद संवेदनहीनता की दागदार मिसाल है।