वक्फ बोर्ड में नहीं होगी कोई नई नियुक्ति, सुप्रीम कोर्ट से केंद्र को सात दिनों की मोहलत

सुप्रीम कोर्ट

आरयू वेब टीम। वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं को गुरुवार को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने अगली सुनवाई तक वक्फ बोर्ड में किसी भी नई नियुक्ति और वक्फ बाय यूजर की संपत्तियों के डिनोटिफिकेशन पर रोक लगाने का निर्देश दिया है।

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से अनुरोध किया कि अभी कोई स्थगन (स्टे) न दिया जाए और उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया जाए। अदालत ने यह अनुरोध स्वीकार करते हुए निर्देश दिया कि यथास्थिति बनाए रखी जाए।

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वे ऐसी कोई स्थिति नहीं बनाना चाहते जिससे पक्षों के अधिकारों को नुकसान पहुंचे। सीजेआई ने कहा, “कुछ कमजोरियां हो सकती हैं, लेकिन कुछ सकारात्मक बातें भी हैं। हम स्थिति को बिगड़ने नहीं देना चाहते।”

एसजी तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में सरकार का तर्क दिया कि यह कानून किसी जल्दबाजी में नहीं, बल्कि एक सुविचारित प्रक्रिया के तहत बना है। उन्होंने कहा कि “गांवों के गांव वक्फ के रूप में दर्ज हैं, और यह कानून का एक ऐतिहासिक हिस्सा है।” उन्होंने यह भी बताया कि याचिकाएं कानून की स्वीकृति से पहले ही दायर की गई थीं। वहीं सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वक्फ अधिनियम की धारा नौ और 14 के तहत फिलहाल कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी। इसके साथ ही पहले से घोषित या नोटिफाइड वक्फ बाय यूजर संपत्तियों को डिनोटिफाई नहीं किया जाएगा, न ही जिला कलेक्टर इनमें कोई बदलाव कर सकेंगे।

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बुधवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र से पूछा था कि यदि वक्फ बाय यूजर की अवधारणा को मान्यता दी जा सकती है, तो क्या अन्य धर्मों के अनुयायियों को भी ऐसे धार्मिक ट्रस्टों में भागीदारी की अनुमति दी जाएगी। साथ ही कोर्ट ने यह भी पूछा कि जब कई लोगों के पास पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज नहीं होते, तब उन्हें कैसे अस्वीकृत किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया है कि वे केंद्र के जवाब मिलने के पांच दिन के भीतर अपनी प्रतिक्रिया दाखिल करें। इसके बाद मामले को अंतरिम आदेश के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।

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