आरयू वेब टीम। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को 1995 के दोहरे हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। इस मामले में पहले निचली अदालत ने सबूतों के अभाव में राजद के पूर्व सांसद को बरी कर दिया था। यहां से मामला हाई कोर्ट पहुंचा जहां पर भी निचली कोर्ट के फैसले को सही ठहराया गया था, हालांकि इसके बाद ये मामले सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जहां हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में प्रभुनाथ सिंह को दोषी पाया और सजा सुनाई गई।
18 अगस्त को जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस अभय एस ओका और विक्रम नाथ की पीठ ने सिंह को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 और 307 के तहत अपराध का दोषी ठहराया। सजा की अवधि पर दलीलें सुनने के बाद पीठ ने दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। मामले में अपना फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को दोनों पीड़ितों के परिवारों को दस-दस लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने का भी निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि एक विस्तृत आदेश अपलोड किया जाएगा।
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यह मामला मार्च 1995 में बिहार के सारण जिले के छपरा में विधानसभा चुनाव के मतदान के दिन दो लोगों की हत्या से जुड़ा था। शीर्ष अदालत ने बिहार के महाराजगंज से कई बार सांसद रह चुके सिंह को दोषी ठहराते हुए कहा था कि इसमें रत्ती भर भी संदेह नहीं है कि सिंह ने उनके खिलाफ सबूतों को ”मिटाने” के लिए हर संभव प्रयास करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।