वाराणसी में जय गुरुदेव के कार्यक्रम में भगदड़ मचने से 25 की मौत, 60 घायल

24 died in jai gurudev programme in varanasi
भगदड़ के बाद राजघाट पुुल पर मौजूद अनुयाईयों की भीड़।

आरयू ब्‍यूरो

वाराणसी। मांसाहार और नशे के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए जय गुरुदेव की याद में आयोजित कार्यक्रम में भगदड़ मचने से शानिवार को 25 लोगों की मौत हो गई। जबकि‍ पांच दर्जन लोग घायल हो गए। मृतकों में ज्‍यादातर महिलाएं हैं। घायलों में तीन की हालत नाजुक बनी हुई है। हादसा उस समय हुआ जब अनुयाई पैदल शोभायात्रा निकालकर वाराणसी के आदमपुर क्षेत्र से होते हुए चंदौली जनपद के गंगा किनारे स्थित डोमरी गांव में आयोजित कार्यक्रम स्‍थल जा रहे थे। शोभा यात्रा के गंगा नदी के ऊपर बने राजघाट पुल पर पहुंचने पर एकाएक भगदड़ मच गयी। करीब एक लाख लोगों की भीड़ वाली शोभायात्रा में लोग एक दूसरे को रौंदते हुए भागने लगे। जिससे अफरा-तफरी मच गयी। केन्‍द्र सरकार ने मृतक के परिवार वालों को दो-दो लाख जबकि राज्‍य सरकार ने पांच-पांच लाख रूपये जबकि दोनों ही सरकारों ने घायलों को 50-50 हजार रूपये मुआवजे के रूप में देने की घोषणा की है। घटना को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, सीएम अखिलेश यादव, सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव समेत तमाम बड़े नेताओं ने शोक प्रकट किया है। इसके साथ ही घटना के पीछे पुलिस व प्रशासनिक अफसरों की बड़ी लापरवाही भी सामने आई है।

24 died in jai gurudev programme in varanasi
हादसे के बाद मौके पर पड़ा लोगों का जूता-चप्‍पल व अन्‍य सामान।

नीचे से ट्रेन गुजरते ही पुल टूटने की आशंका से मामला बिगड़ा

अंग्रजों के समय बनायें गए राजघाट पुल के ऊपर से यातायात संचालित होता है, जबकि पुल के निचले हिस्‍से से ट्रेनें गुजरती है। दोपहर करीब डेढ़ बजे पैदल शोभायात्रा वाराणसी-चंदौली को जोड़ने वाला पुल पार कर रही थी, तभी नीचे से ट्रेन गुजरने लगी। ट्रेन के चलते हमेशा की तरह पुल में कंपन होने लगा, पुल की प्रकृति से अंजान दूसरे जिले और राज्‍यों से आए लोगों को लगा की पुल टूटने वाला है। जिसके बाद लोग जान बचाने की सोच के साथ बेतहाशा भागने लगे। घटना के समय पुल पर मौजूद प्रत्‍यक्षदर्शी अभिषेक मौर्या ने मीडिया को बताया कि पुल के कंपन करते ही महिलाओं ने सबसे पहले चिल्‍लाना शुरू किया। जिसके बाद लोग दौड़कर पुल पार करने की कोशिश करने लगे। इस भगदड़ में जो गिरा फिर उसे उठने का भी मौका नहीं मिला।

पीएम के संसदीय क्षेत्र में लगा आला अधिकारियों और नेताओं का तांता

घटना की गंभीरता को देखते हुए डीजीपी जावीद अहमद, प्रमुख सचिव गृह देवाशीष पंडा, एडीजी दलजीत चौधरी, केन्‍द्रीय मंत्री महेन्‍द्र नाथ पाण्‍डेय समेत कई अधिकारी व नेता वाराणसी पहुंचकर स्थिति का जायजा ले रहे है। इस दौरान डीजीपी ने बि‍ना देर किए माना कि कही न कही चूक हुई हैं। घटना की जांच कराने के साथ ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। दूसरी ओर वाराणसी के एसएसपी का कहना था कि तीन हजार लोगों के आने की बात कही गई थी लेकिन कार्यक्रम में करीब 80 हजार अनुयाई आ गए।

सोता रहा पुलिस-प्रशासन और चली गई दो दर्जन जानें

घटना हो जाने के बाद वाराणसी के पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी यह कहकर बचना चाह रहे है कि आयोजकों ने भीड़ के बारे में गलत जानकारी दी। उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। जबकि अधिकारियों को आयोजकों की बात सुनने के साथ ही अपने स्‍तर से भी कार्यक्रम की जांच कराना चाहिए था। पुराने रेकार्ड पर गौर करे तो 1996 में डोमरी गांव में ही हुए जय गुरुदेव के तीन दिवसीय कार्यक्रम में करीब 20 लाख लोग जमा हुए थे। हालांकि उस दौरान जय गुरुदेव जिंदा थे। इस घटना के बाद एलआईयू की नाकामी भी सामने आ गई। वह भी सही रिपोर्ट नहीं बना सका। इसके अलावा सफेद पोशक, टोपी पहने व हाथों में सफेद झंडा लिए करीब एक लाख अनुयाईयों की भीड़ सुबह से ही वाराणसी के विभि‍न्‍न इलाकों से होते हुए राजघाट पुल पर पहुंची थी। भीड़ के चलते जगह-जगह यातायात व्‍यवस्‍था भी ध्‍वस्‍त हो गई थी। इसके बाद भी पीएम के संसदीय क्षेत्र का पुलिस व प्रशासनिक अमला सोता रहा।

दो एसपी, सीओ व दो थानेदार सस्‍पेंंड, सीएम नेे खुद दी जानकारी

घटना केे पीछे लापरवाही पाए जाने पर रात करीब दस बजे वाराणसी केे एसपी सिटी व पूर्व डीजीपी जगमोहन यादव के रिश्‍तेदार सुधाकर यादव, एसपी यातायात कमल किशोर, सीओ कोतवाली, एसओ रामनगर समेत चन्‍दौली जिले के इंस्‍पेक्‍टर मुगलसराय को निलंबित कर दिया गया। कार्रवाई की जानकारी खुद सीएम अखिलेश यादव व डीजीपी जावीद अहमद ने ट्वीटर के जरिये दी। माना जा रहा है कि अभी और लोगों पर कार्रवाई की जा सकती है।