आरयू ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के छठे चरण में दागी उम्मीदवार शामिल हैं। पिछले चरण की तुलना में छठे चरण में भी महिला उम्मीदवारों की संख्या में कमी आई है। इस चरण की लगभग 65 प्रतिशत विधानसभा सीटों को आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की उपस्थिति के कारण संवेदनशील घोषित किया गया है।
यूपी इलेक्शन वॉच एंड एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने छठे चरण में कुल 676 उम्मीदवारों में से 670 द्वारा दिए गए हलफनामों का विश्लेषण करने के बाद एक रिपोर्ट जारी की है। तीन मार्च को छठे चरण में दस जिलों की कुल 57 सीटों पर मतदान होगा। छठे चरण में एडीआर द्वारा स्कैन किए गए 670 उम्मीदवारों में से 182 या 27 प्रतिशत के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं जबकि 23 प्रतिशत के खिलाफ गंभीर मामले लंबित हैं।
छठें चरण में समाजवादी पार्टी ने 48 में से 83 प्रतिशत 40 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले हैं, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने ऐसे 44 प्रतिशत उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने आपराधिक इतिहास वाले 39 प्रतिशत उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) ने केवल 14 प्रतिशत उम्मीदवार उतारे हैं।
आपराधिक रिकॉर्ड वाले शीर्ष तीन उम्मीदवारों में सहजनवा, गोरखपुर से बसपा उम्मीदवार, 26 मामलों के साथ सुधीर सिंह, खड्डा, कुशीनगर जिले से सुहेलदेव राजभर भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के उम्मीदवार अशोक चौहान 19 मामलों के साथ और आजाद समाज पार्टी से चंद्रशेखर रावण चुनाव लड़ रहे हैं। छठे चरण में दो उम्मीदवारों पर बलात्कार का आरोप है, जबकि आठ के खिलाफ हत्या के मामले दर्ज हैं।
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धनबल के मामले में छठा चरण 38 फीसदी करोड़पति उम्मीदवारों चुनावी मैदान में हैं। इस चरण के चुनाव में सपा ने 94 प्रतिशत, भाजपा ने 81 प्रतिशत, बसपा ने 77 प्रतिशत और कांग्रेस ने 46 फीसदी करोड़पति को मैदान में उतारा है। सभी उम्मीदवारों में सबसे अमीर उम्मीदवारों में गोरखपुर के चिल्लूपार से सपा के विनय शंकर तिवारी ने 67 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ, बसपा के राकेश पांडे ने अम्बकरनगर से 63 करोड़ रुपये और बलिया से उसी पार्टी के उमाशंकर सिंह की 54 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की है। इस चरण में अधिकतम 57 प्रतिशत उम्मीदवारों के पास स्नातक और उससे ऊपर की शैक्षणिक योग्यता है।