आरयू वेब टीम। जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े ने सोमवार को भारत के 47वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भारत के प्रधान न्यायाधीश को सुबह लगभग 9.35 बजे पद की शपथ दिलाई। प्रधान न्यायाधीश को तौर पर जस्टिस बोबड़े का कार्यकाल करीब 17 महीने का होगा और वह 23 अप्रैल 2021 को सेवानिवृत्त होंगे।
63 वर्षीय जस्टिस बोबड़े ने रविवार को रिटायर हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की जगह ली। ऐसा माना जा रहा है कि उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति या उनके नाम को खारिज करने संबंधी कोलेजियम के फैसलों का खुलासा करने के मामले में वह पारंपरिक दृष्टिकोण अपनाएंगे।
इस मौके पर उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कैबिनेट मंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। शपथ लेने के बाद जस्टिस बोबड़े ने अपनी मां का आशीर्वाद लिया। वहीं जस्टिस ने अपने इंटरव्यू में कहा कि लोगों की प्रतिष्ठा को केवल नागरिकों की जानने की इच्छा पूरी करने के लिए बलिदान नहीं किया जा सकता।
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देश की अदालतों में जजों के खाली पड़े पदों और न्यायिक आधारभूत संरचना की कमी के सवाल पर जस्टिस बोबड़े ने अपने पूर्ववर्ती ससीजेआइ गोगोई की ओर से शुरू किए गए कार्यों को तार्किक मुकाम पर पहुंचाने की इच्छा जताई। जस्टिस गोगोई ने अदालतों में भर्तियों और आधारभूत संरचनाओं की कमी पर संज्ञान लिया और सभी राज्यों तथा संबंधित उच्च न्यायालयों को जरूरी कदम उठाने के निर्देश देने के साथ खुद निगरानी भी की थी।
गौरतलब है कि अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद पर फैसला देकर 1950 से चल रहे विवाद का पटाक्षेप करने वाली 5 जजों की बेंच में जस्टिस बोबड़े भी थे। अगस्त 2017 में तत्कालीन CJI जेएस खेहर की अध्यक्षता में 9 जजों की पीठ ने एकमत से, निजता के अधिकार को भारत में संवैधानिक रूप से संरक्षित मूल अधिकार होने का फैसला दिया था। इस पीठ में भी जस्टिस बोबड़े शामिल थे। जस्टिस बोबड़े 17 महीने तक सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पद पर रहेंगे और 23 अप्रैल 2021 को रिटायर होंगे।
बता दें कि न्यायमूर्ति बोबड़े का जन्म 24 अप्रैल 1956 में महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ। उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से कला एवं कानून में स्नातक की उपाधि हासिल की। वर्ष 1978 में महाराष्ट्र बार परिषद में उन्होंने बतौर अधिवक्ता अपना पंजीकरण कराया। बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में 21 साल तक अपनी सेवाएं देने वाले न्यायमूर्ति बोबडे वर्ष 1998 में वह वरिष्ठ अधिवक्ता बने। न्यायमूर्ति बोबडे ने 29 मार्च 2000 में बंबई उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। 16 अक्टूबर 2012 को वह मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने। 12 अप्रैल 2013 को उनकी पदोन्नति सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में हुई और 18 सितंबर को उन्होंने देश की सर्वोच्च अदालत के मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ली।