आरयू ब्यूरो, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती मामले में अभ्यार्थियों के ऑनलाइन फॉर्म की गलती सुधारने की मांग की याचिकाएं खारिज कर दी हैं। इस संबंध में कोर्ट का कहना है कि इस प्रकार की लोक परीक्षाओं में बड़ी संख्या में लोग भाग लेते हैं। लोगों को त्रुटि सुधारने की अनुमति देने से पूरी चयन प्रक्रिया प्रभावित होगी।
साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि आवेदन फार्म भरते समय यह स्पष्ट प्रावधान किया गया था कि ऑनलाइन आवेदन भरने के बाद अभ्यर्थी उसका प्रिंट आउट लेकर अपने मूल दस्तावेजों से मिलान कर यह सुनिश्चित करेगा कि उसके द्वारा भरी गई सभी प्रविष्टियां सही हैं। इसके बाद संशोधन नहीं किया जा सकेगा।
वही कोर्ट के इस फैसले के बाद सहायक अध्यापक भर्ती की लिखित परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों को झटका लगा है। वे त्रुटि संशोधन की मांग को लेकर कई दिन से बेसिक शिक्षा परिषद मुख्यालय के सामने भूख हड़ताल व धरना दे रहे थे। ऐसे अभ्यर्थियों की तादाद अधिक है जिन्होंने आवेदन फार्म में गलत तथ्य भरा है और चयन सूची से बाहर हो गए हैं।
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मालूम हो कि हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से अर्चना चौहान केस में दिए गए निर्णय को सामान्य आदेश न मानते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश याची के मामले में विशेष तथ्यों के आधार पर दिया गया है। इस आदेश को नजीर मानते हुए सभी पर लागू नहीं किया जा सकता है।
धर्मेंद्र कुमार की याचिका पर न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने यह आदेश दिया है। धर्मेंद्र कुमार द्वारा दायर की याचिका में याची ने अपने तृतीय वर्ष और बीटीसी के रोल नंबर में सुधार करने की मांग की थी।