सुप्रीम कोर्ट

आरयू वेब टीम। उत्तर प्रदेश में 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती मामले में योगी सरकार को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को परीक्षा में गलत प्रश्‍नों के विवाद से जुड़ी दायर एसएलपी पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच का आदेश बरकार रखते हुए किसी प्रकार का हस्तक्षेप करने से मना कर दिया और याची अमिता त्रिपाठी की तरफ से कोर्ट में दाखिल याचिका को खारिज कर दिया।

गलत प्रश्‍नों के उत्तर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने कहा पूरे देश में सभी परीक्षाओं में उत्तरमाला को चैलेंज करने का कल्चर बन गया है। कोर्ट से इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार से सुनवाई करने से मना कर दिया। आज योगी सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पूरे केस के बारे में कोर्ट को बताया। इससे पहले सरकार के अधिवक्ता रणजीत सिंह कोर्ट को सिंगल और डबल बेंच के ऑर्डर के बारे में बताया।

सरकार की तरफ से पक्ष सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट के जज ने डबल बेंच के आदेश को सुरक्षित करते हुए उत्तरकुंजी का केस खारिज कर दिया। इस तरह से सुप्रीम कोर्ट में उत्तरमाला विवाद केस की याचिका खारिज हो गया।

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बताते चलें कि आंसर की के विवाद पर हुए स्टे बाद सरकार को डबल बेंच से राहत मिल गई है। डबल बेंच ने 12 जुलाई को उत्तरकुंजी विवाद पर सुनवाई करते हुए स्टे को हटा दिया है और सरकार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भर्ती प्रक्रिया जारी रखने की बात कही है।

उल्‍लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मुद्दे को लेकर लखनऊ बेंच में विशेष अपील दायर की थी। इस मुद्दे की सुनवाई जस्टिस पंकज जायसवाल और जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की कोर्ट ने आठ जून को पूरी की थी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट इस मुद्दे पर अपना निर्णय सुनाते हुए सिंगल बेंच के आदेश को बदल दिया है और भर्ती प्रक्रिया से स्टे हटाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सरकार के पक्ष में आदेश देते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के हिसाब से ही भर्ती पूरी करने के लिए कहा है।

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वहीं सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों की खातिर 37,339 हजार पदों को होल्ड करके भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का निर्णय दिया है। बता दें लखनऊ बेंच के जज आलोक माथुर ने 69000 भर्ती की लिखित परीक्षा में कुछ उत्तरों के विवादित होने पर तीन जून को स्टे लगा दिया था। उन्होंने इस मामले में यूजीसी (यूजीसी) से रिपोर्ट मांगी है।