आरयू ब्यूरो, लखनऊ। 69 हजार शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों ने बुधवार को फिर राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीइआरटी) परिसर में प्रदर्शन शुरू कर दिया है। वहीं एक बार फिर यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार को निशाने पर लिया है। सपा मुखिया ने कहा कि 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में भाजपा राज की नाइंसाफी की एक और ‘आर्थिक-सामाजिक-मानसिक’ मार परंतु एकता की शक्ति के आगे हार।
आज अपने एक बयान में अखिलेश ने कहा कि 69 हजार शिक्षक भर्ती कोर्ट से निरस्त होते ही बांदा डिस्ट्रिक्ट कॉपरेटिव बैंक ने भर्ती हुए शिक्षकों से, बैंक से लिए गए किसी भी प्रकार के ऋण की वसूली का फरमान जारी करा और आगे भी किसी भी प्रकार के लोन का रास्ता बंद करने की साजिश रची परंतु युवाओं के आक्रोश के आगे ये फ़रमान एक दिन भी टिक नहीं पाया और भाजपा सरकार को इसे भी रद्द करने का आदेश निकालना पड़ गया, लेकिन याद रहे उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ये काम मन से नहीं दबाव से कर रही है, इसीलिए इस आदेश को पूरी तरह रद्द नहीं, बल्कि कुछ समय के लिए स्थगित मानकर इसका भरपूर विरोध जारी रखना चाहिए।
साथ ही कहा कि वैसे तात्कालिक रूप से ये युवा विरोधी भाजपा के विरूद्ध युवा-शक्ति की एकता की जीत है। जिन भर्ती हुए शिक्षकों ने अपने घर-परिवार और बाकी सामान के लिए नौकरी की निरंतरता की उम्मीद पर कुछ लोन लिया था तो क्या अब ये सरकार उनके घरों और सामानों को कब्जे में लेने की साजिश कर रही है। ये निहायत शर्मनाक कृत्य है कि भाजपा परिवारों को दुख-दर्द देकर सत्ता की धौंस दिखाना चाहती है।
अखिलेश ने आगे कहा कि शिक्षक भर्ती में यूपी की भाजपा सरकार की बदनीयत की जिस तरह फजीहत हुई है, शायद उसका बदला वो अभ्यर्थियों से लेना चाहती थी। तभी ऐसे फरमान निकलवा रही है। इससे पहले से ही नौकरी खोने के डर से डरे हुए शिक्षकों पर अत्यधिक मानसिक दबाव बढ़ेगा। जब इन लोन की वसूली के लिए बैंक उनके घरों पर जाएगा तो उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुंचेगी।
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हमला जारी रखते हुए कहा कि इसके दूरगामी नकारात्मक परिणाम निकलेंगे, क्योंकि आर्थिक -सामाजिक-मानसिक रूप से प्रभावित शिक्षक का असर शिक्षण पर भी पड़ेगा, जिससे प्रदेश के बच्चों की शिक्षा और उनका भविष्य भी प्रभावित होगा। इसका एक गहरा आघात भर्ती हुए उन शिक्षकों के जीवन पर भी पड़ेगा, जिन्होंने विवाह करके अपना नया-नया वैवाहिक जीवन शुरू किया था और अपने परिवार को पालन-पोषण इसी नौकरी के आधार पर कर रहे थे। वैवाहिक जीवन की जिम्मेदारी सिर्फ परिवार वाले ही जानते हैं। जनता और परिवारवालों को दुख देकर न जाने भाजपा को क्या सुख मिलता है।