आरयू ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती के अटकने के मामले व शिक्षामित्रों की समस्याओं को लेकर राष्ट्रीय लोकदल ने योगी सरकार पर निशाना साधा है। बुधवार को राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्र नाथ त्रिवेदी ने प्रदेश सरकार पर नौनिहालों की शिक्षा के प्रति सोची समझी रणनीति के तहत अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा है कि साल 2017 से पूर्ववर्ती सरकारों के समय से ही शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया कानूनी शिकंजे में अटकी है।
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बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी द्वारा जांच के संबंध में दिए गए तर्क पर सवाल उठाते हुए सुरेंद्र नाथ त्रिवेदी ने कहा कि योगी सरकार की देख-रेख में साल 2019 में आयोजित भर्ती परीक्षा के दौरान प्रयागराज में प्रश्न पत्र आउट हो गया था तथा सॉल्वर गैंग की भनक लग गई थी। इसी प्रकरण में नेशनल इंटर कालेज लखनऊ के प्रधानाचार्य तथा प्रतापगढ़ जिले से पुलिस के सिपाही अभय कुमार सिंह के अतिरिक्त कानपुर मुरादाबाद, आजमगढ़ व अन्य शहरों से 25 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी।
…क्यों नहीं निरस्त कराई परीक्षा, अब रिपोर्ट आते-आते हो जाएगा कार्यकाल पूरा
सुरेंद्र नाथ ने आगे कहा कि अगर योगी सरकार की मंशा साफ थी तो उसी समय परीक्षा निरस्त क्यों नहीं की गई? आज एक बार फिर बेसिक शिक्षा मंत्री एसटीएफ से जांच कराने की बात कर रहें हैं, लेकिन अब इसकी रिपोर्ट आते-आते सरकार का कार्यकाल पूरा हो जायेगा। जिसकी वजहें योगी सरकार के कार्यकाल में नौनिहालों को शिक्षक नहीं मिलेंगे।
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सरकार ने शिक्षामित्रों के लिए नहीं दायर की पुनर्विचार याचिका
वहीं अपने बयान में शिक्षामित्रों की नियुक्ति के संबंध में तर्क देते हुए प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि सरकारी विद्यालयों में शिक्षा पा रहे मासूमों की पढ़ाई में बाधा न आएं, इसके लिए शिक्षामित्रों की नियुक्तियां की गई थीं, लेकिन संयोगवश सुप्रीम कोर्ट की ओर शिक्षामित्रों की सेवा समाप्त करने का फैसला आ गया और योगी सरकार ने हजारों शिक्षामित्रों के लिए पुनर्विचार याचिका तक दायर नहीं की। इसी के चलते यूपी के नौनिहालों की शिक्षा बाधित हुई और हजारों पुरुषों और महिलाओं को बेरोजगार होना पडा़।
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बेसिक ही नहीं माध्यमिक शिक्षा भी अनदेखी का शिकार
भाजपा सरकार पर हमला जारी रखते हुए प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि सिर्फ बेसिक शिक्षा ही नहीं, बल्कि माध्यमिक शिक्षा भी योगी सरकार की अनदेखी का शिकार है, क्योंकि माध्यमिक विद्यालयों में भी लगभग 60 हजार शिक्षकों के पद खाली हैं और यह सरकार इस क्षेत्र में सकारात्मक कदम उठाने के बजाय हिंदू-मुस्लिम व श्मसान-कब्रिस्तान जैसे नकारात्मक पहलुओं पर समय बर्बाद करती रही जिसके लिए धर्म निरपेक्ष देश में कोई स्थान नहीं है। यूपी को उत्तम प्रदेश बनाने का सपना दिखाने वालों को यह समझना होगा कि बिना शैक्षिक विकास के सारी बातें बेमानी हैं।