आरयू ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती के 6800 चयनित अभ्यर्थी नियुक्ति की मांग को लेकर सोमवार को लखनऊ की सड़कों पर प्रदर्शन करने लगे। विधानभवन का घेराव करने निकले इन अभ्यर्थियों को परिवर्तन चौक पर ही पुलिस ने रोक लिया। जिसके बाद अभ्यर्थियों ने पुलिस के हाथ-पैर जोड़कर मिन्नते की, लेकिन पुलिस पर इसका कोई असर न होता देख अभ्यर्थी आक्रोशित हो गए और नारेबाजी शुरू कर दी। इस दौरान अभ्यर्थियों की पुलिस के साथ जमकर धक्का-मुक्की हुई। पुलिस ने बल प्रयोग कर अभ्यर्थियों को ईको गार्डेन पहुंचाया।
अभ्यर्थियों ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकार उनकी मांग को अनसुना कर रही है। पांच जनवरी को चयनित सूची में शामिल किए जाने के बावजूद अभी तक नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया है। अभ्यर्थियों का आरोप है कि सरकार उनके साथ धोखा कर रही। भर्ती प्रक्रिया पर कोर्ट की तरफ से किसी तरह की कोई रोक नहीं लगाई गई है।
उनका कहना है कि यूं तो कई तरह के सकारात्मक वादे किए जा रहे हैं। मगर कई दिनों से हम सिर्फ मांग पूरी होने की आस लगाए हुए हैं। अभ्यर्थियों का कहना है कि उनके सब्र का बांध अब टूट गया है। वे अब इस मामले में संपूर्ण न्याय चाहते हैं। उन्होंने कहा कि या तो उन्हें इच्छा मृत्यु दे दी जाए अन्यथा उन्हें नियुक्ति पत्र सौंप दिया जाए।
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अभ्यर्थियों ने कहा कि इस नियमावली में साफ है कि कोई ओबीसी वर्ग का अभ्यर्थी अगर अनारक्षित श्रेणी के कटऑफ से अधिक नंबर पाता है तो उसे ओबीसी कोटे से नहीं, बल्कि अनारक्षित श्रेणी में नौकरी मिलेगी। यानी वह आरक्षण के दायरे में नहीं गिना जाएगा। सरकार ने आरक्षण लागू करने में गड़बड़ी को माना और आचार संहिता लागू होने से पहले 6800 आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की नियुक्ति करने का आदेश जारी कर दिया। राज्य सरकार ने बीती पांच जनवरी को 6800 अभ्यर्थियों की एक अतिरिक्त सूची जारी की थी। इसे लेकर मामला फिर कोर्ट पहुंच गया है।
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 2018-19 में सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला था। इस भर्ती प्रक्रिया को पूरा कर लिया गया, लेकिन आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की तरफ से आपत्ति दर्ज कराई गई। अभ्यर्थियों का आरोप है कि आरक्षण लागू करने में धांधली की गई है। इस भर्ती के लिए अनारक्षित की कटऑफ 67.11 फीसदी और ओबीसी की कटऑफ 66.73 फीसदी थी। इसको लेकर चयनित अभ्यर्थी धरने पर बैठे हैं।