आरयू वेब टीम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 82वें मन की बात कार्यक्रम में स्वास्थ्यकर्मियों का आभार जताया। साथ ही कहा कि मैं जानता था कि हमारे हेल्थकेयर वर्कर्स देशवासियों के टीकाकरण में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे। कार्यक्रम के दौरान पीएम ने सबसे पहले कहा कि सौ करोड़ वैक्सीन डोज के बाद आज देश नए उत्साह, नई ऊर्जा से आगे बढ़ रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे वैक्सीन कार्यक्रम की सफलता, भारत के सामर्थ्य को दिखाती है और सबके प्रयास के मंत्र की शक्ति को दिखाती है। कार्यक्रम के दौरान मोदी ने वोकल फॉर लोकल की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि आप लोकल खरीदेंगे तो आपका त्योहार भी रोशन होगा और किसी गरीब भाई-बहन, किसी कारीगर, किसी बुनकर के घर में भी रोशनी आएगी। पीएम ने कहा कि हमें ड्रोन टेक्नोलॉजी में अग्रणी देश बनना है। इसके लिए सरकार हर संभव कदम उठा रही है।
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इनोवेशन के साथ अपने दृढ़ निश्चय
पीएम ने कहा, “हमारे स्वास्थ्य-कर्मियों ने अपने अथक परिश्रम और संकल्प से एक नई मिसाल पेश की, उन्होंने इनोवेशन के साथ अपने दृढ़ निश्चय से मानवता की सेवा का एक नया मानदंड स्थापित किया। मोदी ने उत्तराखंड के बागेश्वर का जिक्र किया जहां शत-प्रतिशत पहला डोज लगाने का काम पूरा किया गया।
एकता का संदेश देने वाली गतिविधि से जुड़ने की अपील की
उन्होंने 31 अक्तूबर को ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ पर एकता का संदेश देने वाली किसी-ना-किसी गतिविधि से जुड़ने की अपील की।
उरी से पठानकोट तक
राष्ट्रीय एकता को लेकर कार्यक्रम के दौरान जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान का भी उल्लेख किया औऱ कहा कि वे उरी से पठानकोट तक ऐसी ही बाइक रैली निकालकर देश की एकता का संदेश दे रहे हैं। साथ ही कहा कि जम्मू-कश्मीर के ही कुपवाड़ा जिले की कई बहनों के बारे में भी मुझे पता चला है। ये बहनें कश्मीर में सेना और सरकारी दफ्तरों के लिए तिरंगा सिलने का काम कर रही हैं। ये काम देशभक्ति की भावना से भरा हुआ है। मैं इन बहनों के जज्बे की सराहना करता हूं।
बिरसा मुंडा को किया याद
मोदी ने आगे कहा, हम अमृत महोत्सव में देश के वीर बेटे-बेटियों को उन महान पुण्य आत्माओं को याद कर रहे हैं। अगले महीने, 15 नवंबर को हमारे देश के ऐसे ही महापुरुष, वीर योद्धा, भगवान बिरसा मुंडा जी की जन्म-जयंती आने वाली है। उन्होंने हमें अपनी संस्कृति और जड़ों के प्रति गर्व करना सिखाया। विदेशी हुकूमत ने उन्हें कितनी धमकियां दीं, कितना दबाव बनाया, लेकिन उन्होनें आदिवासी संस्कृति को नहीं छोड़ा, भगवान बिरसा मुंडा ने जिस तरह अपनी संस्कृति, अपने जंगल, अपनी जमीन की रक्षा के लिय संघर्ष किया, वो धरती आबा ही कर सकते थे, भगवान बिरसा मुंडा को ‘धरती आबा’ भी कहा जाता है।
पीएम ने कहा, “प्रकृति और पर्यावरण से अगर हमें प्रेम करना सीखना है, तो उसके लिए भी धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा हमारी बहुत बड़ी प्रेरणा हैं. उन्होंने विदेशी शासन की हर उस नीति का पुरजोर विरोध किया, जो पर्यावरण को नुकसान पहुचाने वाली थी।