आरयू वेब टीम। निरस्त हो चुके कृषि कानूनों को लेकर एक बार फिर से चर्चा शुरू हो गई है। तीन कृषि कानूनों का अध्ययन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित कमेटी ने इसे पूरी तरह निरस्त नहीं करने के पक्ष में रिपोर्ट पेश की। इसको लेकर अब किसान नेता राकेश टिकैत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता टिकैत ने कहा, ”तीन कृषि कानूनों के समर्थन में घनवट ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट सार्वजनिक कर साबित कर दिया कि वे केंद्र सरकार की ही कठपुतली थे।” टिकैत ने चेतावनी देते हुए आगे कहा, ”इसकी आड़ में तीन कृषि बिलों को फिर से लाने की केंद्र की मंशा है तो देश में और बड़ा किसान आंदोलन खड़े होते देर नहीं लगेगी।”
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वहीं पुणे के किसान नेता अनिल घनवट ने कहा कि उन्होंने तीन मौकों पर समिति की रिपोर्ट जारी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखा था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिलने के कारण वह इसे खुद जारी कर रहे हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में समिति के दो अन्य सदस्य अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी तथा कृषि अर्थशास्त्री प्रमोद कुमार जोशी मौजूद नहीं थे।
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समिति ने तीन कृषि कानूनों पर 19 मार्च 2021 को अपनी सिफारिशें दी थीं, जिसमें अन्य बातों के अलावा किसानों को सरकारी मंडियों के बाहर निजी कंपनियों को कृषि उपज बेचने की अनुमति देने की बात कही गई। साथ ही समिति ने कानून खत्म करने के बजाय निर्धारित मूल्य पर फसलों की खरीद का अधिकार राज्यों को देने और आवश्यक वस्तु कानून को खत्म करने का सुझाव दिया था। समिति के तीन सदस्यों में से एक अनिल घनवट ने सोमवार को रिपोर्ट जारी करते हुए यह बात कही।