आरयू वेब टीम। देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए इस बार भी पटाखों के बेचने व चलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। वहीं दिल्ली की केजरीवारल सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायिर की गयी याचिका भी गुरुवार को खारिज कर दी गयी है। सुप्रीम कोर्ट ने अनुमति देने से इंकार करते हुए कहा है कि लोगों को साफ हवा में सांस लेने दें और अपने पसे मिठाई पर खर्च करें। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी भाजपा नेता मनोज तिवारी व पटाखा व्यापारियों की याचिका खारिज करते हुए की है।
वहीं आज इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने भी दिल्ली पलूशन कंट्रोल कमिटी (डीपीसीसी) के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर यह कहते हुए सुनवाई से इनकार कर दिया कि मुद्दा अभी मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
बता दें कि पटाखा विक्रेताओं ने सुप्रीम कोर्ट से पटाखों पर लगे प्रतिबंध के मुद्दे पर तुरंत सुनवाई की मांग की थी। पटाखा विक्रेता इस बैन से व्यापार को नुकसान की दलील दे रहे हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण का हवाला देते हुए उनकी दलील को खारिच कर दिया है और कहा है कि इस पर अर्जेंट सुनवाई की आवश्यकता नहीं है।
इससे पहले हाई कोर्ट में दो व्यापारियों ने अपनी याचिका में जोर देकर कहा था कि डीपीसीसी द्वारा 14 सितंबर को लगाया गया “आखिरी मिनट का प्रतिबंध” मनमाना और अवैध है और उनकी आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। व्यापारियों का कहना था कि उच्च न्यायालय ग्रीन पटाखों की बिक्री की अनुमति दे।
एक दिन पहले ही दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा था कि राजधानी में पटाखों का उत्पादन, भंडारण और बिक्री सजा योग्य अपराध है। उन्होंने कहा कि नियमों का उल्लंघन करने पर 5000 हजार रुपए जुर्माना और 3 साल तक जेल की सजा हो सकती है।
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दिल्ली में पटाखा खरीदने और आतिशबाजी करने पर भी रोक है। इसका उल्लंघन करते हुए पकड़े जाने पर 200 रुपए जुर्माना और 6 महीने जेल की सजा का प्रवधान किया गया है। दिल्ली में ठंड की शुरुआत के साथ हवा की गुणवत्ता खराब होने की दलील के साथ दिल्ली सरकार ने आतिशबाजी पर संपूर्ण रोक का ऐलान किया है।