आरयू वेब टीम। केजरीवाल सरकार की रोक व सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद भी दिवाली की रात राजधानी में लोगों ने जमकर आतिशबाजी की। वहीं आज सुबह दिल्ली में हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई, लेकिन अनुकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों के कारण स्थिति पिछले वर्षों की तुलना में अपेक्षाकृत बेहतर रही।
राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) मंगलवार सुबह सात बजे 326 रहा। पड़ोसी शहरों गाजियाबाद (285), नोएडा (320), ग्रेटर नोएडा (294), गुरुग्राम (315) और फरीदाबाद (310) ने हवा की गुणवत्ता ‘खराब’ से ‘बहुत खराब’ बताई।
यह भी पढ़ें- राजधानी में दिवाली पर पटाखे खरीदना व जलाना पड़ सकता है भारी, जुर्माने के साथ छह महीने की जेल
शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 को ‘मध्यम’, 201 और 300 को ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 और 500 को ‘गंभीर’ माना जाता है।
आज सुबह अपेक्षाकृत बेहतर वायु गुणवत्ता का मतलब यह नहीं है कि यह अच्छी हवा है। सुबह 7 बजे तक राष्ट्रीय राजधानी के 35 निगरानी स्टेशनों में से 30 पर पीएम2.5 का स्तर राष्ट्रीय मानक 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के पांच से छह गुना था।
पीएम 2.5 महीन कण होते हैं जो 2.5 माइक्रोन या उससे कम व्यास के होते हैं और श्वसन पथ में गहराई तक जा सकते हैं, फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं और रक्त प्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं।
यह भी पढ़ें- पटाखों से नहीं हटेगा बैन, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर कहा, साफ हवा में लेने दें सांस, मिठाई पर करें खर्च
वहीं नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के प्रोफेसर गुफरान बेग ने कहा कि पंजाब और हरियाणा में सोमवार को खेत में आग लग गई, लेकिन हवा की गति धुएं के परिवहन के लिए मध्यम रूप से प्रतिकूल थी। इसलिए, दिल्ली के प्रदूषण (लगभग 10 प्रतिशत) में पराली जलाने का योगदान भी “बहुत महत्वपूर्ण” नहीं है।
पटाखों और खेत की आग के उत्सर्जन ने पिछले कुछ वर्षों में दिवाली पर दिल्ली के पीएम2.5 प्रदूषण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस वर्ष उनका हिस्सा पिछले वर्षों की तुलना में अपेक्षाकृत कम था।