आरयू ब्यूरो,लखनऊ। कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय पाठक की याचिका पर हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति विवेक कुमार सिंह की खंडपीठ ने कहा कि वह 15 नवम्बर को अपना फैसला सुनाएगी। इसी के साथ कोर्ट ने फैसला सुनाए जाने तक प्रो. पाठक के खिलाफ उत्पीड़ात्मक कार्रवाई न किए जाने का भी आदेश दिया है।
कुलपति के वकील एलपी मिश्र ने बीते चार नवंबर को पक्ष रखने के समय मांगा गया था। इस मामले में एसटीएफ अभी तक दो आरोपितों में अजय मिश्रा, अजय जैन को गिरफ्तार कर चुकी है। दरअसल लखनऊ के इंदिरा नगर थाने में निजी कंपनी के एमडी द्वारा तहरीर दिए जाने के बाद कुलपति समेत एक अन्य पर नामजद एफआइआर दर्ज हुई थी।
इस बीच राहत पाने के मकसद से कुलपति ने हाई कोर्ट में तीन नवंबर को पिटीशन फाइल किया, उस पर फैसला अगले दिन 2 बजकर 30 मिनट तक आने के उम्मीद थी। फिलहाल इसी बीच लखनऊ, कानपुर और आगरा समेत प्रदेश की तमाम बड़ी यूनिवर्सिटीस में यह मामला चर्चा के केंद्र में हैं।
चार अगस्त 2015 से दो अगस्त 2021 तक विनय पाठक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ के कुलपति रहे। इस दौरान भी विश्वविद्यालय कई अहम और बड़े कदम उठाएं गए जिनको लेकर विवाद भी हुआ, पर उनका रुतबा इस कदर हावी रहा कि लगभग सभी मामलों में उन्हें क्लीन चिट मिलती गई। कई ऐसे मामले भी रहे जिनमें उन्हें राहत कोर्ट से मिली और उसके बाद अपना रसूख और मजबूत करने में कायम रहें। हालांकि यह पहला मौका हैं विनय पाठक पर तेजी से शिकंजा कसता नजर आ रहा हैं।
सबसे बड़ी बात यह है कि कुलपति विनय पाठक पर एफआइआर दर्ज होते ही प्रदेश के करीब आधा दर्जन से ज्यादा विश्वविद्यालय सीधे तौर पर एसटीएफ के रडार में पर आ गए हैं। एफआइआर आगरा विश्वविद्यालय को लेकर हुई पर जांच में कानपुर विश्वविद्यालय और लखनऊ का एकेटीयू भी शामिल हो गए। इस बीच भाषा विश्वविद्यालय से लेकर लखनऊ विश्वविद्यालय तक दूसरे नामजद आरोपित अमित मिश्रा की कंपनी के ठेके होने से इन पर भी जांच एजेंसी की नजर हैं।
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इस सभी विश्वविद्यालयों में कुलपति विनय पाठक का सीधा दखल होने की खबरें भी आती रही हैं। यह बात और हैं कि अब तक किसी भी मामले में उनकी ऐसी किरकिरी नही हुई थी। खबर यह भी है कि बुधवार को जांच एजेंसी के लोग एकेटीयू पहुंचे। इस दौरान विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव, वित्त अधिकारी से मिलकर प्रो. पाठक के टेन्योर या दखल के बाद हुई नियुक्तियों, योजनाओं, खरीद आदि की जानकारी जुटाई। जांच एजेंसी कुछ दस्तावेज भी अपने साथ ले गई है।
2400 करोड़ की एफडी तुड़वाना भी बना चर्चा का केंद्र
एकेटीयू में कुलपति रहने के दौरान प्रोफेसर विनय कुमार पाठक पर विश्वविद्यालय की 2400 करोड़ की एफडी तुड़वाकर फंड का कही और इन्वेस्टमेंट करने का मामला एक बार फिर से चर्चा के केंद्र में हैं। जानकार बता रहे हैं कि एसटीएफ इस पहलू की भी छानबीन करेगी कि कही ऐसा तो नहीं कि इसमें भी तमाम माध्यम से बड़ी कमाई की गई हो। इसके अलावा कॉलेजों के निर्माण पर आने वाले खर्च और ई-लाइब्रेरी को लेकर हुए खर्च का ब्योरा भी जांच एजेंसी इस मामले में शामिल कर सकती हैं।