अफसरों की मेहरबानी के चलते सालों से एलडीए का अरबों दबाए बैठे हैं आवंटी-विकासकर्ता, खुलासा होने पर VC नाराज, सात दिन में नहीं मिला पैसा तो…

एलडीए

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण के अफसर अपनी संपत्ति के प्रति कितने संजीदा है इसकी बानगी आज एक बार फिर सामने आयी है। आधिकारियों की लापरवाही व मिलीभगत के चलते एलडीए के कई सौ करोड़ रुपए संपत्ति के डिफॉल्‍टर आवंटियों व निजी विकासकर्ताओं ने सालों से दबा रखा है, लेकिन इनपर मेहरबान अधिकारियों नियमों को दरकिनार कर न तो इनसे वसूली में दिलचस्‍पी दिखाई और न ही संपत्ति का आवंटन ही निरस्‍त किया।

शुक्रवार को एलडीए वीसी डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी की आवासीय-व्यावसायिक संपत्ति, मानचित्र सेल, हाईटेक-इंटीग्रेटेड टाउनशिप की समीक्षा बैठक में इस बात का खुलासा होने पर उपाध्‍यक्ष ने नाराजगी जाहिर करते हुए चेतावनी जारी कर एलडीए के सैकड़ों करोड़ रुपये की वसूली का अफसरों को निर्देश दिया। इसके अनुसार सभी बकायेदारों को सात दिन में बाकी पैसा जमा करना होगा, नहीं तो नोटिस जारी कर संपत्ति का आवंटन निरस्त कर दिया जाएगा। इसी तरह अगर निजी विकासकर्ताओं ने एक सप्ताह में बकाया शुल्क नहीं जमा किया तो उनकी बंधक संपत्ति को नीलाम कर एलडीए अपनी वसूली करेगा।

आवासीय के 249 तो व्यावसायिक संपत्तियों के आवंटियों पर बाकी है 234 करोड़

वीसी की समीक्षा बैठक में आज यह सामने आया कि प्राधिकरण की विभिन्न योजनाओं में स्थित आवासीय संपत्ति के 1112 आवंटियों पर लंबे समय से एलडीए का 249 करोड़ रूपये बकाया है। वहीं व्यावसायिक संपत्तियों के 693 आवंटी भी एलडीए को उसका 233.74 करोड़ नहीं दे रहें। इसके अलावा मानचित्र के 184 डिफाल्टरों ने भी अब तक एलडीए का 21.06 करोड़ रूपये जमा नहीं किया है।

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वीसी ने पूछा, अब तक क्‍या किया, अफसर नहीं दे सके जवाब

बकाये का भारी भरकम आंकड़ा सामने आने पर बैठक में वीसी ने अफसरों की कार्यप्रणाली व मंशा के प्रति नाराजगी जताते हुए अधिकारियों से पूछा कि अब तक इन बकायेदारों के खिलाफ क्या कार्यवाही की गयी। वीसी के सवाल का अधिकारी ठीक से जवाब भी नहीं दे सके।

50 प्रतिशत से कम पैसा जमा करने वालों का निरस्‍त करें आवंटन

इसके अलावा समीक्षा बैठक में आज यह भी उजागर हुआ कि बड़ी संख्‍या में ऐसे भी आवंटी हैं, जिन पर संपत्ति के कुल मूल्य का 50 प्रतिशत या उससे अधिक का बकाया हैं और उन्होंने चार-पांच साल में कोई भुगतान नहीं किया है। इस पर उपाध्यक्ष ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि ऐसे सभी डिफाल्टर आवंटियों को तीन दिन में नोटिस जारी करें। इनके द्वारा एक सप्ताह में बकाया धनराशि जमा न किये जाने पर नियमानुसार कार्यवाही करते हुए संपत्ति का आवंटन निरस्त कर दें।

निरस्‍त संपत्तियों को नए सिरे से बेचें

साथ ही उपाध्‍यक्ष ने एलडीए का खजाना भरने के लिए अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया कि आवासीय व व्‍यावसायिक संपत्तियों के आवंटन को निरस्‍त करने के साथ ही इन्‍हें लॉटरी या नीलामी के जरिए नए सिरे से बेंच दे।

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अंसल पर सबसे ज्‍यादा 18 करोड़ का बकाया, दूसरे नंबर पर गर्व बिल्‍डटेक

वहीं बैठक में हाईटेक व इंटीग्रेटेड टाउनशिप के विकासकर्ताओं पर बकाया शुल्क की भी वीसी ने आज समीक्षा की। इसमें पाया गया कि हाईटेक टाउनशिप के अंतर्गत मेसर्स गर्व बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड पर नगरीय विकास शुल्क का लगभग 13 करोड़ रूपये बकाया है, जबकि मेसर्स अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रा लिमिटेड पर नगरीय विकास शुल्क, क्रय योग्य एफएआर फीस तथा बाहरी विकास शुल्क का करीब 18 करोड़ रुपये एलडीए का बाकी है।

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अन्‍य कंपनियां भी नहीं दे रहीं एलडीए का करोड़ों

इसी तरह इंटीग्रेटेड टाउनशिप के अंतर्गत मेसर्स ओमैक्स लिमिटेड, मेसर्स ईमार एमजीएफ लैंड लिमिटेड, मेसर्स अमरावती रेजीडेंसी प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स पिन्टेल रियलिटी डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स स्वास्तिक मल्टीट्रेड प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स ओमेगा इन्फ्राबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड तथा मेसर्स एएनएस डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड पर भी नगरीय विकास, ग्रामीण आबादी विकास तथा बंधा शुल्क के करोड़ों रूपये बकाया हैं। इसके अलावा स्वीकृत मानचित्रों-तलपट मानचित्र के स्वीकृत परियोजनाओं में एफएआर व बाहरी विकास शुल्क बाकी है।

बंधक संपत्ति की नीलामी से हो वसूली

इस पर उपाध्यक्ष ने अफसरों को निर्देशित किया कि इन सभी विकासकर्ताओं को देय शुल्क जमा करने के लिए तत्काल नोटिस जारी करें। अगर इसके बाद भी बाकायेदार एलडीए का पैसा नहीं देते हैं तो प्राधिकरण इनकी बंधक संपत्ति को नीलाम कर एलडीए का पैसा वसूल करें।

बैठक में एलडीए सचिव पवन कुमार गंगवार, अपर सचिव ज्ञानेन्द्र वर्मा, वित्‍त नियंत्रक दीपक सिंह, नजूल अधिकारी अरविंद त्रिपाठी व ओएसडी देवांश त्रिवेदी समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहें।

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