आरयू ब्यूरो, लखनऊ। शहीद पथ के पास काम कराने को लेकर ठेकेदारों में मारपीट व मुकदमे के बाद सुशांत गोल्फ सिटी पुलिस ने अपनी जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने इस मामले में लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की भूमिका को भी संदिग्ध मानते हुए एलडीए से पूछा है कि दोनों ठेकेदारों को लिखा-पढ़ी में टेंडर दिया भी था या नहीं। पुलिस के इस सवाल पर एलडीए के अधिकारी अपने बचाव के रास्ते को ध्यान में रखते हुए जवाब बनवाने में लगे हैं।
सुशांत गोल्फ सिटी कोतवाली के इंस्पेक्टर महेंद्र कुमार शुक्ला के अनुसार मूल रूप से जनपद देवरिया निवासी ठेकेदार संदीप सिंह ने दूसरे ठेकेदार पक्ष अनिल कुमार सिंह, वैभव सेंगर व गौरव सेंगर पर बीती दो फरवरी को हमला करने, लूट व अपहरण का आरोप लगाया था। संदीप सिंह की तहरीर पर आरोपितों के खिलाफ आइपीसी की धारा 394, 364, 504 व 506 के तहत मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच की जा रही है।
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बताया जा रहा है कि ठेकेदार संदीप सिंह शहीद पथ के किनारे पौधों में पानी देने के लिए पाइप लाइन डलवा रहे थे, जबकि दूसरा पक्ष पेड़-पौधे लगाने का काम करवा रहा था। इसी दौरान हुए विवाद के बाद मामला मारपीट व मुकदमे तक पहुंच गया। इंस्पेक्टर महेंद्र शुक्ला ने एलडीए से पूछा है कि संदीप सिंह को पाइप डालने व अनिल सिंह पक्ष को पौधे लगाने का एलडीए ने लिखा-पढ़ी में कोई टेंडर दिया भी है या नहीं। एलडीए उपाध्यक्ष इंद्रमणि त्रिपाठी ने इस मामले में जवाब देने के लिए चीफ इंजीनियर अवधेश तिवारी को निर्देश दिया है।
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वहीं इस मामले में जहां जी-20 में अति व्यस्त होने का हवाला देते हुए एलडीए के अधिकारी बोलने से बच रहें हैं। तो दूसरी ओर इंस्पेक्टर सुशांत गोल्फ सिटी का कहना है कि मामला की जांच चल रही है।
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बताते चलें कि एलडीए अध्यक्ष व कमिश्नर रोशन जैकब की सख्त निर्देशों के बावजूद एलडीए की टेंडर प्रक्रिया लगातार सवालों के घेरे में है। दस लाख रुपये से अधिक के बड़े कामों को ब्रेक कर समान्य निविदा कराने व टेंडर पुलिंग के मामले भी सामने आ रहें। बीते दिसंबर में भी गोमतीनगर के पार्कों के 60 लाख के एक टेंडर को लेकर ठेकेदारों में एलडीए मुख्यालय में ही जमका मारपीट हो गयी थी।
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ठेकेदार सुभांशु कुमार ने गोमतीनगर कोतवाली में हमला करने वाले ठेकेदारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के साथ ही एलडीए वीसी को भी प्रार्थना पत्र देते हुए एक उद्यान अधिकारी पर लंबे समय तक फाइल दबाने व टेंडर पुलिंग कराने जैसा गंभीर आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की थी। एलडीए उपाध्यक्ष के निर्देश पर मामले की जांच अधिक्षण अभियंता एके सिंह को दी गयी थी, हालांकि ठेकेदार के आरोपों में कितनी सच्चाई है इसका पता जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद ही साफ हो पाएगा।