आरयू वेब टीम। ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) ने एक और बम फोड़ दिया है। गौतम अडानी के बाद ओसीसीआरपी के निशाने पर वेदांता के मालिक अनिल अग्रवाल आए हैं। ओसीसीआरपी की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वेदांता ने कोरोना महामारी के दौरान पर्यावरण कानूनों को कमजोर करने के लिए गुपचुप तरीके से लॉबिंग की थी।
ओसीसीआरपी की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी, 2021 में वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने तत्कालीन पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से कहा था कि सरकार को माइनिंग कंपनियों को नए एनवायरमेंटल क्लीयरेंस हासिल किए बिना 50 प्रतिशत उत्पादन बढ़ाने की अनुमति देनी चाहिए। इससे देश में इकॉनमिक रिकवरी तेज हो सकती है। संगठन ने ये भी दावा किया है कि वेदांता की ऑयल कंपनी केयर्न इंडिया की तरफ से ऑयल ब्लॉक्स में एक्सप्लोरेटरी ड्रिलिंग के लिए जन सुनवाई को खत्म करने के लिए लॉबिंग की, जो सफल रही थी।
साथ ही रिपोर्ट में वेदांता के बयान का भी जिक्र है। अनिल अग्रवाल की कंपनी द्वारा ओसीसीआरपी से कहा गया कि देश की एक प्रमुख नेचुरल रिसोर्सेज कंपनी होने के नाते वह घरेलू उत्पादन को बढ़ाकर आयात कम करने के लक्ष्य के साथ काम कर रही है। देश के हित में और नेचुरल रिसोर्सेज के मामले में आत्मनिर्भर बनने के लिए समय-समय पर सरकार से मदद मांगी जाती है।
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रिपोर्ट के अनुसार वेदांता के प्रवक्ता ने ओसीसीआरपी से ये भी कहा कि सरकार से राष्ट्र के विकास के मसले पर प्रतिनिधिमंडल मुलाकात करता रहता है और प्राकृतिक संसाधन के खनन के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनाने की मांग करता है, हालांकि इस खुलासे पर अभी तक वेदांता और केयर्न ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।