आरयू वेब टीम। भारत में विदेशी कोर्स को लेकर यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) की तरफ से नई गाइडलाइंस जारी की गई है। अब यूजीसी के इजाजत के बगैर कोई भी भारतीय उच्च शिक्षण संस्थान विदेशी प्रोग्राम नहीं चला सकते हैं। कर्जत में एक बिजनेस स्कूल यूके फैकल्टी के साथ किसी भी बातचीत के बिना सैकड़ों छात्रों को यूके यूनिवर्सिटी की डिग्री प्रदान करता है। यूजीसी ने इस संबंध में एक नोटिस जारी किया गया है।
जारी नोटिस के अनुसार यूजीसी ने कहा कि जो भी विदेशी विश्वविद्यालय उचित प्रक्रियाओं का पालन किए बिना भारत में अपने परिसर स्थापित करते हैं या देश में उच्च शिक्षण संस्थानों के साथ सहयोग करते हैं। ऐसे किसी भी सहयोग या व्यवस्था को उसके द्वारा मान्यता नहीं दी जाएगी।
आयोग ने कहा कि कई उच्च शिक्षा संस्थान/कॉलेज ने आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं होने वाले विदेशी शैक्षणिक संस्थानों के साथ कोलैबोरेशन किया है और डिग्री जारी करने की सुविधा प्रदान कर रहे हैं। यूजीसी इस तरह की किसी भी व्यवस्था को मान्यता नहीं देता है और ऐसे संस्थानों की ओर से जारी की गई डिग्री को वैलिड नहीं माना जाएगा।
नियमों के अनुसार विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों को भारत में कैंपस स्थापित करने से पहले यूजीसी की मंजूरी लेना आवश्यक है। कोई भी विदेशी उच्च शिक्षण संस्थान आयोग की अनुमति के बिना भारत में कोई भी शैक्षणिक कार्यक्रम पेश नहीं कर सकता है। नियम यह भी है कि उच्च शिक्षण संस्थानों को किसी भी फ्रेंचाइजी व्यवस्था के तहत कार्यक्रम पेश नहीं करना चाहिए और ऐसे कार्यक्रमों को यूजीसी द्वारा मान्यता नहीं दी जाएगी।
इतना ही नहीं एडटेक कंपनियों और विदेशी विश्वविद्यालयों के कोलैबोरेशन द्वारा पेश की जाने वाली ‘गैर-मान्यता प्राप्त डिग्रियों’ पर प्रकाश डालते हुए आयोग ने कहा कि यूजीसी के संज्ञान में यह भी आया है कि कुछ एडटेक कंपनियां समाचार पत्रों, सोशल मीडिया, टेलीविजन आदि में डिग्री और डिप्लोमा की पेशकश करने वाले विज्ञापन दे रही हैं। कुछ विदेशी विश्वविद्यालयों/संस्थानों के सहयोग से ऑनलाइन मोड में कार्यक्रम चल रहे हैं।
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ऐसी फ्रेंचाइजी व्यवस्था की अनुमति नहीं है और ऐसे किसी भी कार्यक्रम/डिग्री को यूजीसी की मान्यता नहीं होगी। वहीं आयोग ने ये भी कहा कि वह नियमों के तहत सभी डिफाॅल्टर एडटेक कंपनियों के साथ-साथ उच्च शिक्षा संस्थानों के खिलाफ भी कार्रवाई करेगा।