आरयू ब्यूरो, वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को वाराणसी में दुनिया के सबसे बड़े ध्यान केंद्र ‘स्वर्वेद मंदिर’ का उद्घाटन किया। साथ ही वाराणसी में लोगों को संबोधित कर पीएम ने कहा कि विरासत और विकास की पटरी पर आज भारत तेज गति से आगे बढ़ रहा। काशी में स्वर्वेद मंदिर के लोकार्पण में शामिल होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। संतो के सानिध्य में काशी के लोगों ने मिलकर विकास और नवनिर्माण के कितने ही नए कीर्तिमान गढ़े हैं।
पीएम ने कहा कि सरकार, समाज और संतगण सब साथ मिलकर काशी के कायाकल्प के लिए कार्य कर रहे हैं। आज स्वर्वेद मंदिर बनकर तैयार होना, इसी ईश्वरीय प्रेरणा का उदाहरण है। ये महामंदिर महृषि सदाफल देव जी की शिक्षाओं और उनके उपदेशों का प्रतीक है। इस मंदिर की दिव्यता जितना आकर्षित करती है, इसकी भव्यता हमे उतना ही अचंभित भी करती है। पीएम ने आगे कहा कि स्वर्वेद मंदिर भारत के सामाजिक और आध्यात्मिक सामर्थ्य का एक आधुनिक प्रतीक है। इसकी दीवारों पर स्वर्वेद को बड़ी सुंदरता के साथ अंकित किया गया है।
उन्होंने बताया कि वेद, उपनिषद, रामायण, गीता और महाभारत आदि ग्रन्थों के दिव्य संदेश भी इसमें चित्रों के जरिये उकेरे गए हैं। इसलिए ये मंदिर एक तरह से अध्यात्म, इतिहास और संस्कृति का जीवंत उदाहरण है। भारत पर हुए हमलों का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि गुलामी के कालखंड में जिन अत्याचारियों ने भारत को कमजोर करने का प्रयास किया, उन्होंने सबसे पहले हमारे प्रतीकों को ही निशाना बनाया। आजादी के बाद इन सांस्कृतिक प्रतीकों का पुनर्निर्माण आवश्यक था। बनारस का मतलब है विकास, अब बनारस का मतलब है आस्था के साथ आधुनिक सुविधाएं, अब बनारस का मतलब है स्वच्छता और बदलाव, बनारस आज विकास के अद्वितीय पथ पर अग्रसर है।
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गौरतलब है कि इस मंदिर में 20,000 से अधिक लोग एक साथ बैठकर ध्यान कर सकते हैं। सात मंजिला इस मंदिर की दीवारों पर स्वर्वेद के छंद उकेरे गए हैं। स्वर्वेद मंदिर प्राचीन दर्शन, आध्यात्मिकता और आधुनिक वास्तुकला का एक मिलाजुला रूप है।