आरयू वेब टीम। 22 जनवरी को अयोध्या की राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के चलते केंद्र सरकार के एम्स समेत चार बेहद जरूरी अस्पतालों में छुट्टी रखने के फैसले पर विवाद खड़ा हो गया है। इन अस्पतालों में एम्स दिल्ली, सफदरजंग अस्पताल, राम मनोहर लोहिया और लेडी हार्डिंग जैसे अस्पताल शामिल हैं। रामलला के कार्यक्रम के चलते इनमें ओपीडी सेवाएं दोपहर 2.30 बजे के बाद शुरू होंगी।
इसपर सोशल मीडिया पर लोगों द्वारा विरोध शुरू करने के साथ ही विपक्षी नेताओं ने अस्पतालों की सर्विस बंद करने को लेकर मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं। विपक्ष का कहना है कि इससे मरीजों को परेशानी होगी और उनकी जान भी जा सकती है।
भारी विरोध के बाद बैकफुट पर एम्स प्रशासन, वापस लिया फैसला
वहीं भाजपा सरकार व एम्स प्रशासन की सोशल मीडिया पर भारी विरोध व किरकिरी के रविवार दोपहर एम्स प्रशासन बैकफुट पर आ गया और आधे दिन की छुट्टी वाले फैसले का वापस ले लिया। अब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन एम्स पूरे दिन खुला रहेगा।
इससे पहले रविवार को कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, “राम मंदिर का निर्माण एक ऐतिहासिक घटना है, लेकिन लोगों की सुविधाओं को भी ध्यान में रखना चाहिए। 22 जनवरी को अस्पतालों की छुट्टी से मरीजों को परेशानी होगी। सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।”
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वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी अस्पतालों की छुट्टी को लेकर सवाल उठाया है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर कहा, “राम मंदिर के निर्माण में शामिल लोगों को बधाई, लेकिन अस्पतालों की छुट्टी से मरीजों को परेशानी होगी। सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।” केंद्र सरकार ने 22 जनवरी को सभी केंद्रीय कार्यालयों में भी दोपहर 2.30 बजे तक आधे दिन की छुट्टी घोषित की है।
इसके अलावा राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भी अस्पतालों की ओपीडी सर्विस बंद होने पर सवाल किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘एम्स ने 22 जनवरी को दोपहर 2.30 बजे तक ओपीडी बंद किया हुआ है। राम राज्य में ऐसा कभी नहीं होता।
वहीं कांग्रेस प्रवक्ता शमा महमूद ने भी अस्पतालों की छुट्टी पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, ‘यह विश्वास से परे है कि मरीजों की जान खतरे में डाली जा रही है, सिर्फ इसलिए क्योंकि नरेंद्र मोदी अपने राजनीतिक कार्यक्रम की निर्बाध कवरेज चाहते हैं।’ कांग्रेस पहले ही राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को बीजेपी का राजनीतिक इवेंट बता चुकी है। पार्टी का कहना है कि चुनावी फायदे के लिए अयोध्या में बने अधूरे राम मंदिर का उद्घाटन किया जा रहा है।
बता दें कि एम्स दिल्ली की तरफ से जारी किए गए ऑफिशियल नोटिस में कहा गया है कि अस्पताल के सभी कर्मचारियों को बताया जाता है कि 22 जनवरी को संस्थान दोपहर 2.30 बजे तक बंद रखने का फैसला लिया गया था, जिस बाद में पलटा गया।
वहीं राम मनोहर लोहिया अस्पताल की तरफ से भी ऐसा ही नोटिस जारी किया गया है, जिसमें रूटीन सर्विस और लैब सर्विस के बंद होने की जानकारी दी गई है। सफदरजंग अस्पताल और लेडी हार्डिंग में भी इसी तरह का नोटिस जारी हुआ है, हालांकि इस दौरान इमरजेंसी सर्विस जारी रहने वाली है।