राम जन्‍मभूमि शिलान्‍यास: अशोक सिंघल व आडवाणी को याद कर बोले मोहन भागवत, इसके लिए कई लोगों ने दिया बलिदान

राम जन्‍मभूमि शिलान्‍यास
कार्यक्रम में बोलते मोहन भागवत।

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ/अयोध्या। अयोध्या में बुधवार को राम मंदिर के लिए संपन्‍न हुए भूमिपूजन के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। भागवत ने कहा कि इस अवसर पर मुझे संकल्प पूर्ति का आनंद मिल रहा है और पूरे देश में आनंद की लहर है। इस मौके पर अशोक सिंघल और लालकृष्ण आडवाणी को याद करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि ‘इसके लिए कई लोगों ने बलिदान दिया है। अशोक जी यहां होते, तो कितना अच्छा होता। महंत परमहंस रामदास जी अगर आज होते तो कितना अच्छा होता। रथयात्रा का नेतृत्व करने वाले आडवाणी जी अपने घर में बैठकर इस कार्यक्रम को देख रहे होंगे।

मोहन भागवत ने आगे कहा कि कितने ही लोग हैं, जो आ भी सकते हैं, लेकिन बुलाए नहीं जा सकते, परिस्थति ऐसी है।’ उन्होंने कहा, ‘ लेकिन जो इच्छा उसकी (ईश्वर) है, वैसा होता है। मेरा विश्वास है कि जो यहां हैं, वो मन से और जो नहीं हैं, वो सूक्ष्म रूप से इस क्षण का सुख उठा रहे हैं।’ भागवत ने आगे कहा कि, ‘एक संकल्प लिया था और मुझे स्मरण है तब कि हमारे सरसंघचालक बाला साहब देवरस जी ने हमको कदम आगे बढ़ाने से पहले यह बात याद दिलाई थी कि 20-30 साल लगकर काम करना पड़ेगा और 30वें साल के प्रारंभ में हमको संकल्पपूर्ति का आनंद मिल रहा है।

इसके अलावा आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘पूरे देश में देख रहा हूं कि आनंद की लहर है, सदियों की आस पूरी होने का आनंद है, लेकिन सबसे बड़ा आनंद है भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जिस आत्मविश्‍वास की आवश्यकता थी और जिस आत्म-भान की आवश्यकता थी, उसका साकार अधिष्ठान बनने का शुभारंभ आज हो रहा है।’

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भागवत ने कहा, ‘यह अधिष्ठान है आध्यात्मिक दृष्टि का। सारे जगत में अपने को और अपने में सारे जगत को देखने की भारत की दृष्टि का,’ उन्होंने कहा कि इस मंदिर के निर्माण के साथ ही देश में एकता और विश्व के नेतृत्व के प्रतीक की स्थापना हो रही है। उन्होंने कहा, ‘जितना हो सके, सबको साथ लेकर चलने की विधि जो बनती है, उसका अनुष्ठान आज बन रहा है।’ उन्होंने कहा कि संसार में अभी मंथन चल रहा है और ऐसे समय में भारत ही उसका नेतृत्व करेगा। भारत में यह क्षमता है।

इतना ही नहीं संघ प्रमुख ने कहा, ‘सारा संसार अंतर्मुख हो गया है। सारा संसार विचार कर रहा है कि कहां गलती हो गई। हम उसका हल निकालेंगे, हम उसपर विचार करेंगे, हम शुरू करेंगे, तो हो जाएगा। आज इसके लिए संकल्प करने का दिन है।’ ‘सब राम के हैं और सबमें राम है, इसलिए यहां मंदिर बनेगा।’ उन्होंने कहा कि ‘मंदिर निर्माण के लिए सबमें दायित्व बांटे गए हैं और जिम्मेदार लोग अपना काम कर रहे हैं, लेकिन इसके साथ ही हमें भी अपना दायित्व पूरा करना है।

‘हम सबको अपने मन की अयोध्या को सजाना है। प्रभु राम जिस धर्म के विग्रह माने जाते हैं, वो सबकी उन्नति करने वाला, सबको अपना मानने वाला धर्म है, हमें अपने मन में भी ऐसी ही अयोध्या बनानी है। मंदिर बनने से पहले मन का मंदिर सज जाना चाहिए। हमारा हृदय भी राम का बसेरा होना चाहिए। हृदय से सब प्रकार के दोषों को मिटाकर बस देशवासियों को ही नहीं, पूरे विश्व को अपनाने, एक साथ लाने का प्रतीक है यह मंदिर, इसकी स्थापना बहुत ही सक्षम हाथों से हुई है।’

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां पर भूमि पूजन कार्यक्रम संपन्न कराया और फिर मंदिर का शिलान्यास किया। यहां पर उनके साथ भागवत भी पूजास्थल पर मौजूद थे। मंच पर राम मंदिर ट्रस्ट के प्रमुख संत नृत्य गोपालदास भी थे। उन्होंने कहा कि ‘केंद्र में मोदी हैं और राज्य में योगी हैं, तो मंदिर अब नहीं बनेगा तो कब बनेगा।’

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