आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। अवैध निर्माण और आवासीय प्लॉट के कॉमर्शियल यूज पर कार्रवाई के लिए कई महीनों से कागजों पर घोड़ें दौड़ाने वाले एलडीए ने अब इस पर एक तरह से लगाम लगाने को लेसा को पत्र लिखा।
लखनऊ विकास प्राधिकरण ने नियमों और धाराओं का हवाला देते हुए अपने लेटर में कहा कि व्यवसायिक भवनों का विद्युत संयोजन तब तक पास न किया जाए जब तक भवन स्वामी से एलडीए से पास नक्शा अथवा भवन पूर्णता प्रमाण पत्र या एनओसी न मिल जाए।
एलडीए ने माना अब भी अवैध निर्माण और कालोनियों की बढ़ रही संख्या
एलडीए उपाध्यक्ष की ओर से मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के एमडी को लिखे गए पत्र में माना गया है कि राजधानी में लगातार अवैध निर्माण और कालोनियों की संख्या बढ़ती जा रही है। वहीं लैंड यूज के विपरीत किये जा रहे निर्माणों के खिलाफ न्यायालयों मे भी निरंतर याचिकाएं दाखिल की जा रही हैं। जिनमें समय-समय पर प्रतिकूल टिप्पणी और आदेश पारित किए जा रहे है।
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घुमा-फिराकर लेसा को ठहराया जिम्मेदार
शासन से लेकर सोशल मीडिया और शहर से लेकर हाईकोर्ट तक में लगातार एलडीए इंजीनियरों और अफसरों के भ्रष्टाचार और लापरवाही के चलते उन्हें अवैध निर्माण और आवासीय प्लॉटों के कॉमर्शियल यूज के लिए जिम्मेदार ठहराने की बात तो आप अकसर ही सुनते पढ़ते रहते हैं, लेकिन एलडीए के इस पत्र में ये बात सामने आई है कि इन सबके लिए कही न कही लेसा जिम्मेदार है।
एलडीए ने अपने पत्र में कहा कि अवैध निर्माण कराने या फिर उसके पूरा होने के बाद निर्माणकर्ता उत्तर प्रदेश नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम 1973 की धारा-15(क) का उल्लंधन करते हुए व्यवसायिक विद्युत संयोजन प्राप्त करता है, जबकि संयोजन स्वीकृति में लेसा भी विद्युत प्रदान संहिता 2005 के खण्ड 4.9(घ) के प्राविधान का उल्लंघन करती है। इस प्रकार से अवैध निर्माणों को अप्रत्यक्ष रूप से लेसा का भी सहयोग प्राप्त हो रहा है।
नियम नहीं हुए फॉलो तो होगी कार्रवाई
लेटर के अंत में लेसा के चीफ इंजीनियर से नियमों के हिसाब से व्यवसायिक भवनों में विद्युत कनेक्शन नहीं देने पर नगर नियोजन और विकास अधिनियम, 1973 की धाराओं के तहत कार्रवाई करने की भी बात कही गई है।
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बोले एमडी
इस संबंध में एलडीए उपाध्यक्ष ने लेसा के चीफ इंजीनियर को पत्र भेजा है, जिसकी कॉपी मुझे भी भेजी गई है। लेकिन हम भी कॉमर्शियल ऑर्गानाइजेशन है और हमारे भी कुछ रूल रेगूलेशन है। कोई अगर व्यवसायिक इस्तेमाल कर रहा है तो उसे एलएमवी वन (घरेलु कनेक्शन) नहीं दिया जा सकता। रही बात अवैध निर्माण की तो उसे बनने में सालों लग जाते है। एलडीए को अगर सच में उस पर आपत्ति है तो वह जब चाहे अवैध निर्माण सील कर सकता है। अरुण प्रताप सिंह, एमडी मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड
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