आरयू ब्यूरो, लखनऊ। तमाम दावों के बाद भी लखनऊ विकास प्राधिकरण के अफसर शहर तो दूर अपने मुख्यालय क्षेत्र गोमतीनगर में भी अवैध निर्माण पर लगाम लगाने में नाकाम हैं। बुधवार को यह बात एक बार फिर साबित हो गयी है। गोमतीनगर के विनम्र खंड स्थित आवासीय प्लॉट पर पांच मंजिला कॉमर्शियल निर्माण पूरा होने के बाद प्रवर्तन जोन एक की टीम ने आज उसे सील किया है। एलडीए की इस कार्रवाई को लेकर अफसर-इंजीनियरों की मंशा और क्षमता पर सवाल उठ रहें हैं।
वहीं सीलिंग की इस कार्रवाई से आम अवैध निर्माणकर्ताओं का डरना स्वाभाविक है। हालांकि इस डर का फायदा अवैध निर्माण रोकने की जगह कई बार वसूली के धंधे को धार देने के लिए भी इस्तेमाल करने की बात एलडीए में सामने आ चुकी है। जानकारों का भी मानना है कि अवैध निर्माण पर प्रभावी लगाम तभी लग सकती है, जब इस पर शुरूआती चरण में ही कार्रवाई की जाए।
यह है मामला-
बुधवार रात एलडीए की ओर से जारी प्रेस नोट के हवाले से प्रवर्तन जोन एक की जोनल अफसर वंदना पांडेय ने बताया है कि गोमतीनगर के विनम्र खंड स्थित 200 वर्ग मीटर के प्लॉट (संख्या 3/1) ऊषा तिवारी व अन्य ने अवैध तरीके से लोअर ग्राउंड, अपर ग्राउंड के अलावा फर्स्ट, सेकेंड और थर्ड फ्लोर पर दुकानें, शोरूम, हॉल व अन्य कॉमर्शियल निर्माण किया गया था। विहित न्यायालय से सीलिंग का आदेश होने के बाद आज इस अवैध बिल्डिंग को सहायक अभियंता उदयवीर, जेई एसके दीक्षित व आशीष श्रीवास्तव ने सील कराया है। वहीं इस अधूरे प्रेस नोट में अवैध निर्माण की नोटिस व सीलिंग आदेश जैसी महत्वपूर्ण तारीखों को न सिर्फ छिपा लिया गयाा, बल्कि पूछे जाने पर भी जिम्मेदार इंजीनियर से लेकर एलडीए के पीआरओ अनुभाग ने बताने में असमर्थता जाहिर की।
यह भी पढ़ें- अवैध निर्माण नहीं रुक रहा तो तीन दिन में सील करें बिल्डिंग, “नोटिस टू फीनिशिंग” के खेल पर ब्रेक लगाने को LDA VC ने दिए जोनल अफसरों को निर्देश
दूसरी ओर एलडीए की इस कार्रवाई के बाद सवाल उठने लगा है कि अमेटी यूनिवर्सिटी के सामने लगभग सालभर में पूरे हुए इस पांच फ्लोर वाले अवैध निर्माण को रोकने के लिए शुरूआती दिनों में ही जिम्मेदार अफसरों ने सार्थक कदम क्यों नहीं उठाया। किन अफसर-इंजीनियरों की लापरवाही या संरक्षण में पांच मंजिल तक अवैध निर्माण को न सिर्फ खड़ा होने दिया गया? बल्कि सीलिंग की कार्रवाई से पहले फीनिशिंग तक का इंतजार किया गया? आम आवंटी की बिल्डिंग को आज सील करने के बाद अवैध निर्माण को संरक्षण देने वाले वाले भ्रष्ट या लापरवाह अफसर-इंजीनियरों पर एलडीए वीसी इंद्रमणि त्रिपाठी क्या कार्रवाई कर पाएंगे?
यह भी पढ़ें- एलडीए VC से बोले, “कमिश्नर रातों-रात खड़ा नहीं हो जाता निर्माण, अवैध निर्माणकर्ता समेत इंजीनियर व कर्मचारियों पर भी करें कार्रवाई”
पहले एक-दो मंजिल में…
वहीं अवैध निर्माण को संरक्षण देने वाला सिंडीकेट किस कदर एलडीए के अफसरों पर हावी है इसका उदाहरण भी आज इस बात से मिल गया कि जिस गोमतीनगर में आवासीय प्लॉट पर एक-दो मंजिल अवैध कॉमर्शियल निर्माण करने में लोग पूर्व में डरते थे, आज एक ही आवासीय प्लॉट पर पांच फ्लोर तक व्यवसायिक निर्माण कर हॉल, दुकानें व शोरूम आदि खोल रहें हैं।
फोटो खिचाने तक सील रहा अवैध निर्माण
इसके अलावा यह भी सामने आया है कि हाल के दिनों में गोमतीनगर के विभिन्न खंडों में जिन अवैध निर्माणों को सील किया गया था उनमें से भी कई बिल्डिंगों की सील तोड़ते हुए फिर अवैध निर्माण किया जा रहा, लेकिन इसके बाद भी सरकारी आदेशों का सार्वजनिक तौर पर मजाक बनाने वाले पर मुकदमा दर्ज कराने की जगह सीलिंग के दौरान फोटो खिचवाने व बयान जारी कर माहौल बनाने वाले अफसर-इंजीनियर आंख बंद क्यों बैठें? इसे लेकर भी लोग न सिर्फ तरह-तरह की अटकलें लगा रहें हैं, बल्कि एलडीए की छवि भी और धूमिल हो रही है।
यह भी पढ़ें- प्रवर्तन में टाइमपास व अवैध निर्माण की ठेकेदारी करने वालों पर उपाध्यक्ष हुए सख्त, महीने में 125 स्थल निरीक्षण के बाद ही JE को मिलेगी सैलरी, जोनल को भी निपटाने होंगे 60 मामले
अन्य जोन में भी हालात ठीक नहीं
वहीं सामने आया है कि प्रवर्तन जोन एक के अलावा जोन दो, तीन, चार, पांच, छह व सात में भी अवैध निर्माण धड़ल्ले से चल रहा है। बड़ी संख्या में इनकी शिकायतें सीएम के आइजीआरएस पोर्टल से लेकर एलडीए के अफसर-इंजीनियर से भी लोग सीधे व सोशल मीडिया के माध्यम से कर रहें हैं, लेकिन अवैध निर्माणों पर फिलहाल लगाम लगती नहीं दिख रही है।
एलडीए हर महीने खर्च कर रहा अलग से लाखों रुपए, नतीजा शर्मनाक
ऐसे हालात तब है जब प्राधिकरण ने कुछ महीना पहले ही अफसर-इंजीनियरों की टीम के अलावा दर्जनों भूतपूर्व सैनिक अवैध निर्माण रोकने के लिए प्रवर्तन में तैनात किए हैं। इतना ही नहीं अवैध निर्माण पर लगाम कसने के लिए सभी सातों जोन की प्रवर्तन टीम को अलग से एक-एक वाहन भी उपलब्ध कराए हैं। तैनात भूतपूर्व सैनिकों व वाहनों पर एलडीए करीब नौ लाख रुपए महीने अतिरिक्त रूप से हर महीने फूंक रहा, जबकि हालात ऐसे है कि लखनऊ के दूर-दराज के इलाके तो दूर गोमतीनगर स्थित प्राधिकरण मुख्यालय में बैठने वाले छोटे-बड़े अफसरों की नाक के नीचे भी धड़ल्ले से अवैध निर्माण चल रहा है।