आरयू वेब टीम। देश की सबसे बड़ी अदालत ने राष्ट्रीय प्रवेश सह पात्रता परीक्षा-स्नातक 2024 पेपर लीक मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। शुक्रवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि यह एक सिस्टमेटिक फेलियर नहीं हैं। पेपर लीक का असर हजारीबाग और पटना तक ही सीमित रहा। इसको देखते हुए हम दोबारा परीक्षा की मांग को खारिज करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) को ढुलमुल रवैये से बचना चाहिए। एनटीए ने 1500 से अधिक छात्रों को गलत प्रश्न पत्र दिया, फिर ग्रेस मार्क्स दिए और बाद में दोबारा परीक्षा बुलाई गई। सुप्रीम कोर्ट ने पूरी प्रक्रिया के पुनर्गठन का भी आह्वान किया। साथ ही परीक्षा प्रक्रियाओं में बदलाव के लिए केंद्र द्वारा बनाई गई विशेषज्ञ समिति के लिए जनादेश का वर्णन किया।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने यह भी कहा कि, विशेषज्ञ समिति को परीक्षा प्रणाली में कमियों को दूर करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, अदालत ने अपने फैसले में एनटीए की संरचनात्मक प्रक्रियाओं में सभी कमियों को उजागर किया है। साथ ही बताया कि, छात्रों की भलाई के लिए इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
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वहीं अधिकारियों ने बताया कि, केंद्रीय जांच ब्यूरो ने एक अगस्त को नीट-यूजी परीक्षा पेपर लीक मामले में अपना पहला आरोप पत्र दायर किया, जिसमें 13 लोगों को आरोपित बनाया गया था। पटना में एक विशेष सीबीआइ अदालत के समक्ष दायर अपने आरोप पत्र में, एजेंसी ने आरोपियों पर आइपीसी की आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, सबूतों को नष्ट करने सहित अन्य धाराएं लगाई हैं।