आरयू वेब टीम। एक ओर मणिपुर के जिरीबाम में शांति कायम करने को लेकर मैतेई और हमार समुदायों के बीच सहमति बनी। वहीं सहमति के 24 घंटे के भीतर जिरीबाम में हिंसा भड़क उठी है। यहां एक मैतेई बस्ती में गोलियां चलाई गईं। वहीं लालपानी गांव में एक घर में आग लगा दी गई।
दरअसल, मैतेई और हमार समुदायों के प्रतिनिधियों ने मणिपुर के हिंसा प्रभावित जिरीबाम जिले में स्थिति सुधारने और शांति बहाली के लिए एक साथ काम करने पर सहमति जताई थी। असम के चाय बागान क्षेत्र काचर में सीआरपीएफ की सुविधा केंद्र में हुई बैठक में आमने-सामने बैठकर दोनों पक्षों के बीच सहमति बनी थी। इस दौरान दोनों पक्षों ने समझौता किया कि गोलीबारी और आगजनी की घटनाओं को कम करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। दोनों पक्ष जिरीबाम जिले में मौजूद सभी सुरक्षा अधिकारियों की मदद करेंगे। दोनों पक्ष समन्वित और नियंत्रित आवाजाही प्रदान करेंगे। इस दौरान सभी सहभागी समुदायों के प्रतिनिधियों ने समझौतों से संबंधित एक बयान जारी किया। सभी ने इस पर हस्ताक्षर किए।
इस समझौते के 24 घंटे के भीतर ही जिरीबाम के लालपानी गांव में हिंसा भड़क उठी। बीती देर रात गांव के एक घर में बन्दूकधारियों ने आग लगा दी। साथ ही गांव को निशाना बनाकर कई राउंड गोलियां चलाई गईं। घटना के बाद सुरक्षा बल मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने बताया कि बदमाशों ने इलाके में सुरक्षा में खामियों का फायदा उठाकर आगजनी की। उनकी अभी तक पहचान नहीं हो पाई है।
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गौरतलब है कि पिछले साल मई से ही इम्फाल घाटी के मैतेई और आसपास की पहाड़ियों पर बसे कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 200 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और हजारों बेघर हो गए हैं। जातीय रूप से विविधतापूर्ण जिरीबाम इम्फाल घाटी और आसपास की पहाड़ियों में हुई जातीय हिंसा से काफी हद तक अछूता रहा, हालांकि इस साल जून में एक किसान का क्षत-विक्षत शव खेत में मिलने के बाद यहां भी हिंसा भड़क उठी।
दोनों पक्षों की ओर से आगजनी की घटनाओं के चलते हजारों लोगों को घर छोड़कर राहत शिविरों में जाना पड़ा। जुलाई मध्य में यहां आतंकवादियों ने सुरक्षा बल के गश्ती दल पर हमला किया था। इस दौरान एक सीआरपीएफ जवान शहीद हो गया था।