मणिपुर में रोका गया राहुल गांधी का काफिला तो कांग्रेस बोली ये ‘दुर्भाग्यपूर्ण’, नरेंद्र मोदी ने चुप्‍पी तोड़ने की नहीं उठाई जहमत

मणिपुर पुलिस
राहुल गांधी केे काफिले को मणिपुर पुलिस ने रोका।

आरयू वेब टीम। हिंसाग्रस्त मणिपुर का दौरा करने पहुंचे कांग्रेस नेता राहुल गांधी को स्थानीय पुलिस ने आगे बढ़ने से रोक दिया है। गुरुवार को राहुल गांधी को इंफाल एयरपोर्ट के आगे विष्णुपुर चेकपोस्ट पर रोका गया है। इंफाल एयरपोर्ट पर उतरने के बाद वे चुराचांदपुर जा रहे थे। जहां पुलिस ने हिंसा की आशंका का हवाला देते हुए उन्‍हें जाने नहीं दिया। इस पर कांग्रेस ने प्रतिक्रिया देते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि मोदी सरकार राहुल गांधी को रोक रही है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राहुल गांधी का काफिला रोके जाने पर भाजपा पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने ट्विटर पर ट्वीट कर कहा कि राहुल गांधी के काफिले को बिष्णुपुर के पास पुलिस ने रोक दिया है। वे राहत शिविरों में पीड़ित लोगों से मिलने और हिंसाग्रस्त राज्य में राहत पहुंचाने के लिए वहां जा रहे थे।

उन्होंने आगे कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर पर अपनी चुप्पी तोड़ने की जहमत नहीं उठाई है। उन्होंने राज्य को अपने हाल पर छोड़ दिया है। अब, उनकी डबल इंजन वाली विनाशकारी सरकारें राहुल गांधी की पहुंच को रोकने के लिए निरंकुश तरीकों का इस्तेमाल कर रही हैं। ये पूरी तरह से अस्वीकार्य है और सभी संवैधानिक और लोकतांत्रिक मानदंडों को तोड़ने वाला है। मणिपुर को शांति की जरूरत है, टकराव की नहीं।

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वहीं इसपर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा कि, ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि मोदी सरकार राहुल गांधी को राहत शिविरों का दौरा करने और इंफाल के बाहर लोगों से बातचीत करने से रोक रही है। उन्होंने आगे लिखा, उनकी दो दिवसीय मणिपुर यात्रा भारत जोड़ो यात्रा की भावना के अनुरूप है। प्रधानमंत्री चुप रहना या निष्क्रिय रहना चुन सकते हैं, लेकिन मणिपुरी समाज के सभी वर्गों को सुनने और उन्हें राहत देने के राहुल गांधी के प्रयासों को क्यों रोका जाए?

इसके पहले कांग्रेस की राज्य इकाई के अधिकारियों ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि अपने दो दिवसीय दौरे पर वह नागरिक संगठनों के प्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों और अन्य लोगों से भी बातचीत करेंगे। राज्य में कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, ‘‘इस दौरे का मकसद मणिपुर में जातीय संघर्ष से प्रभावित लोगों को सांत्वना देना है।’’ मणिपुर में इस साल मई में जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद से 300 से अधिक राहत शिविरों में करीब 50,000 लोग रह रहे हैं।

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