मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, कर्फ्यू घोषित, सेना भी बुलाई गई वापस

मणिपुर हिंसा

आरयू वेब टीम। पूर्वोत्तर भाजपा शासित राज्य मणिपुर की राजधानी इंफाल में एक बार फिर से हिंसा भड़क उठी है। राज्य की राजधानी इंफाल के न्यू चेकॉन इलाके में मैतेई और कुकी समुदायों का एक वर्ग आपस में भिड़ गया जिसके बाद एक बार फिर से तनाव बढ़ गया है। स्थानीय बाजार में जगह को लेकर झड़प शुरू हुई जो देखते ही देखते हिंसा में बदल गई। भीड़ ने कई घरों में आग लगा दी। आगजनी की घटनाओं के बाद राजधानी इंफाल में कर्फ्यू घोषित कर दिया और सेना को भी वापस बुला लिया।

मिली जानकारी के मुताबिक राजधानी इंफाल के न्यू चेकॉन इलाके में एक स्थानीय बाजार में जगह को लेकर मैतई और कुकी समुदाय के बीच मारपीट हो गई। रिपोर्ट के मुताबिक, उपद्रवियों ने कुछ खाली घरों को भी आग के हवाले कर दिया। हालात पर काबू पाने के लिए कर्फ्यू की घोषणा के साथ ही सेना को वापस बुलाकर तैनात किया गया।

मणिपुर करीब एक महीने से कई मुद्दों को लेकर जातीय संघर्ष का गवाह रहा। इसको लेकर मोदी सरकार भी विपक्ष के निशाने पर रही हैै। इस महीने की शुरुआत में पहाड़ी राज्य में दो समुदायों के बीच झड़प शुरू हुई। कुकी आदिवासियों ने तीन मई को मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मांग के विरोध में एकजुटता मार्च निकाला था। इसके बाद भड़की हिंसा में 70 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। अरबों रुपए की संपत्ति को आग लगा दी गई और हजारों को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। लोगों को सरकार द्वारा आयोजित शिविरों में रहना पड़ा।

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हिंसा की शुरुआत आरक्षित वन भूमि से कुकी ग्रामीणों को बेदखल करने के बाद कई छोटे-छोटे आंदोलन हुए, जिसके बाद झड़पें हुईं। हालात काबू में करने के लिए सेना तथा अर्द्धसैनिक बलों के करीब दस हजार कर्मियों को तैनात करना पड़ा। मणिपुर में 16 जिले हैं और यहां पर 53 प्रतिशत मैतेई समुदाय के लोग रहते हैं। मणिपुर में 42 प्रतिशत कुकी, नागा के अलावा दूसरी जनजाति रहती है।

मैतेई समुदाय के लोगों का कहना है कि 1970 के बाद पर यहां कितने रिफ्यूजी आए हैं। इसकी गणना की जाए और यहां पर एनआरसी लागू किया जाए। मैतेई समुदाय के लोग पहाड़ी हिस्से में जमीन नहीं खरीद सकते, लेकिन कुकी समुदाय के लोग घाटी के इलाके जहां मैतेई रहते हैं वहां जमीन खरीद सकते हैं। टकराव की एक बड़ी वजह ये भी है।

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