आरयू वेब टीम। पतंजलि ‘भ्रामक विज्ञापन केस’ में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में मानहानि का केस बंद कर दिया है। दरअसल, पतंजलि के उत्पादों के बारे में भ्रामक विज्ञापन दिए जाने के इस केस में माफीनामा दाखिल किया गया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है।
दरअसल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने पतंजलि पर कोविड-19 वैक्सीनेशन को लेकर एक कैंपेन चलाने का आरोप लगाया था। इस पर अदालत ने चेतावनी दी थी कि पतंजलि आयुर्वेद की तरफ से झूठे और भ्रामक विज्ञापन तुरंत बंद होने चाहिए। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन से एलोपैथी दवाइयों की उपेक्षा हो रही है।
आइएमए ने कहा था कि पतंजलि के दावों की पुष्टि नहीं हुई है और ये ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954 और कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 जैसे कानूनों का सीधा उल्लंघन है। पतंजलि आयुर्वेद ने दावा किया था कि उनके प्रोडक्ट कोरोनिल और स्वसारी से कोरोना का इलाज किया जा सकता है। इस दावे के बाद कंपनी को आयुष मंत्रालय ने फटकार लगाई थी और इसके प्रमोशन पर तुरंत रोक लगाने को कहा था।
इससे पहले पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उसने उन 14 उत्पादों की बिक्री रोक दी है, जिनके निर्माण लाइसेंस उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने अप्रैल में निलंबित कर दिए थे।
कंपनी ने जस्टिस हिमा कोहली और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ को बताया था कि उसने 5,606 फ्रेंचाइजी स्टोर को इन उत्पादों को वापस लेने का निर्देश दिया है। इसी के बाद बेंच ने पतंजलि आयुर्वेद से एक एफिडेविट फाइल करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि हलफनामा दायर करके बताना होगा कि विज्ञापन हटाने के लिए सोशल मीडिया मंचों से किए गए अनुरोध पर अमल किया गया है और इन 14 उत्पादों के विज्ञापन वापस ले लिए गए हैं।
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सुप्रीम कोर्ट भारतीय चिकित्सा संघ (आइएमए) की ओर से दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें पतंजलि पर कोविड टीकाकरण अभियान और आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है। उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने न्यायालय को बताया था कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों के निर्माण लाइसेंस को तत्काल प्रभाव सेनिलंबित कर दिया गया है।