आरयू वेब टीम। कर्ज के बोझ तले डूब रही जेट एयरवेज को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने इस एयरलाइन्स के खिलाफ एक्शन लेने का फैसला लिया है। गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपनी विशेष संवैधानिक शक्तियों का उपयोग करते हुए कई दिनों से बंद पड़ी एविएशन कंपनी जेट एयरवेज की एसेट्स को बेचने का आदेश दे दिया है।
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने जेट एयरवेज के सोल्यूशन प्लान को बरकरार रखने और इसके स्वामित्व को जालान कलरॉक कंसोर्टियम यानी जेकेसी को हस्तांतरित करने को मंजूरी देने के राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय अधिकरण यानी एनसीएलएटी के फैसले को खारिज कर दिया।
पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआइ तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की सोल्यूशन प्लान को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एविएशन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है।
उच्चतम न्यायालय ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है।
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एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की सोल्यूशन प्लान को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक यानी एसबीआई, पंजाब नेशनल बैंक यानी पीएनबी और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था। दरअसल वित्तीय परेशानियों के कारण जेट एयरवेज को 17 अप्रैल 2019 को बंद करना पड़ा था। इस एयरलाइंस को सबसे ज्यादा कर्ज भारतीय स्टेट बैंक ने दिया था, जिसके परिणामस्वरुप इस बैंक ने एनसीएलटी मुंबई के सामने कंपनी के खिलाफ दिवाला प्रोसेस शुरू कर दी थी।
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