वामपंथियों की गिरफ्तारी पर SC ने सरकार को सुनाई खरी-खरी, विरोध को बताया लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्‍व

सुप्रीम कोर्ट

आरयू वेब टीम। 

भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में हुई वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारियों पर रोक लगाते हुए आज सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को खरी-खरी सुनाई है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि विरोध लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व है, यदि प्रेशर कुकर में सेफ्टी वॉल्व नहीं होगा तो वो विस्‍फोट कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि आरोपितों को गिरफ्तार करने की बजाय हाउस अरेस्ट किया जाए। साथ ही इस मामले की अगली सुनवाई छह सितंबर को होगी।

यह भी पढ़ें- नौकरी के लिए सड़कों पर उतरे B.ed TET अभ्‍यर्थियों पर लाठीचार्ज, जवाबी पत्थरबाजी में पुलिसकर्मी भी चोटिल

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि असहमति का होना किसी भी लोकतंत्र के लिए सेफ्टी वॉल्व है। अगर असहमति की अनुमति नहीं होगी तो प्रेशर कूकर की तरह फट भी सकता है। लिहाजा अदालत आरोपितों को अंतरिम राहत देते हुए अगली सुनवाई तक गिरफ्तारी पर रोक लगाती है, तब तक सभी आरोपित हाउस अरेस्ट में रहेंगे।

यह भी पढ़ें- मोदी सरकार अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए महिला प्रोफेसर और बुद्धजीवियों की करा रही गिरफ्तारी: मायावती

बता दें कि भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में हुई गिरफ्तारियों के खिलाफ इतिहासकार रोमिला थापर, देवकी जैन, अर्थशास्‍त्री प्रभात पटनायक, सतीश देशपांडे और मजा दारूवाला ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगाई थी। जिसपर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएम खानविलकर की बेंच के समक्ष याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी, दुष्यंत दवे, राजू रामचंद्रन, प्रशांत भूषण, और वृंदा ग्रोवर, वहीं सरकार की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनलर तुषार मेहता मौजूद थे।

यह भी पढ़ें- मोदी के कार्यक्रम में हंगामा करने पर महिलाओं समेत 37 शिक्षामित्रों को भेजा गया जेल

सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच के सामने याचिकाकर्ताओं की तरफ से पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि पुलिस की एफआईआर में गिरफ्तार लोगों का कोई जिक्र ही नहीं है और ना ही आरोपितों के ऊपर किसी तरह की मीटिंग करने का आरोप है।

सिंघवी ने कहा कि गिरफ्तार लोगों में से एक सुधा भारद्वाज ने अपनी अमेरिकी नागरिकता छोड़ते हुए भारत में वकालत करने को अपने पेशे के तौर पर चुना, वह दिल्ली की नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में पढ़ाती भी हैं, लेकिन बड़ा मामला सरकार से असहमति का है।

यह भी पढ़ें- भाजपा और भगवा झंडाधारियों की साजिश का नतीजा है भीमा-कोरेगांव की हिंसा: मायावती

वहीं मामले में सिंघवी का विरोध करते हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनलर तुषार मेहता ने कहा जिन लोगों का इस केस से कोई लेना नहीं है वे (याचिकाकर्ता) सुप्रीम कोर्ट के समक्ष हैं, जिस पर सिंघवी ने कहा कि यह मामला संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा सुनिश्चित जीने के अधिकार और आजादी के अधिकार से जुड़ा है। लिहाजा इन गिरफ्तारीयों पर रोक लगाई जाए। वहीं वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि यह गिरफ्तारियां बिना सोचे-समझे की गई हैं, जिसका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है।

यह भी पढ़ें- विधानसभा घेरने जा रहे BTC अभ्‍यर्थियों को पीटने के बाद घसीटकर ले गयी पुलिस, देखें तस्‍वीरें

बता दें कि भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में देश के कई हिस्सों में मंगलवार को पुणे पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने कई वामपंथी विचारकों के घरों पर छापेमारी की। ये छापेमारी महाराष्ट्र, गोवा, तेलंगाना, दिल्ली और झारखंड में की गई। पुणे पुलिस ने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर छापेमारी की। इस मामले में समाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा, वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरिया और वरनोन गोंजालवेस गिरफ्तार किए गए थे।

यह भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने कहा SC-ST एक्‍ट पर गिरफ्तारी से पहले होगी जांच