काकोरी इलाके में घूम रहा खूंखार टाइगर, तलाश में जुटा वन विभाग

रहमान खेड़ा

आरयू ब्यूरो, लखनऊ। भेड़िए के आतंक के बाद अब राजधानी लखनऊ के काकोरी इलाके में कोई दिनों से बाघ की दहशत फैली है। शनिवार को फिर से बाघ के पगमार्क मिले हैं। वन अधिकारियों का मानना है कि टाइगर इस इलाके के आस-पास ही मौजूद है। अभी तक कैमरे में टाइगर कैद नहीं हो पाया है। हालांकि बाघ ने शनिवार को कोई नया शिकार नहीं किया है।

दरअसल काकोरी रहमान खेड़ा में उसी जगह शनिवार को फिर से टाइगर के पगमार्क मिले हैं, जहां पर गुरुवार को उसने नीलगाय का शिकार किया था। वन अधिकारियों का मानना है कि टाइगर इस इलाके के आस-पास ही मौजूद है। जिसकी वजह से रहमान खेड़ा के जंगलों में नीलगायों की भी गतिविधियां कम हो गई हैं।

इस संबंध में रेंज अफसर सोनम दीक्षित ने बताया कि शुक्रवार से लेकर अभी तक टाइगर ने किसी का शिकार नहीं किया है, लेकिन आम लोगों को उधर जाने से रोका गया है। अभी वह कैमरे में कैद नहीं हो पाया है। वहीं थर्मल ड्रोन की टीम और वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञों की टीम भी पहुंचकर आगे की कार्रवाई करेगी।

बता दें कि कई माह से वन विभाग के अधिकारी लाठी पीटते रहे और जिसे बड़ी बिल्ली बता रहे थे, वह आखिरकार बाघ ही निकला। इस बाघ ने चार दिसंबर को दोपहर तीन बजे के करीब रहमान खेड़ा में एक नीलगाय फाड़कर खाा गया था। इस घटना के बाद जागे वन विभाग के अधिकारियों ने पांच दिसंबर को दो पिंजड़ा और पांच कैमरे और लगाने का निर्णय लिया था। इस घटना से काकोरी से लेकर मलिहाबाद और आस-पास के इलाकों में दहशत फैल गई।

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वन विभाग के अधिकारी रहमान खेड़ा के बहता नाले के पास से पिंजड़ा लगाकर हटे ही थे कि उसके कुछ देर बाद ही बाघ ने नीलगाय को दबोच लिया था। यह वही जगह है, जहां पर मार्च 2012 में बाघ आया था और 109 दिन बाद उसे पकड़ा गया था। गांववालों की मानें तो टाइगर ने अभी तीन से चार नीलगायों का शिकार किया है। टाइगर होने के कारण मीठे नगर में दहशत का माहौल है। लोगों ने खेतों से खेतों में जाना बंद कर दिया है।

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