उपचुनाव 2025: सात राज्यों की आठ सीटों पर वोटिंग खत्म, 14 नवंबर को आएंगे नतीजे

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आरयू वेब टीम। बिहार के दूसरे व अंतिम चरण के मतदान के साथ ही आज शाम सात राज्यों की आठ सीटों पर भी कड़ी सुरक्षा के बीच उपचुनाव का भी मतदान खत्म हो गया है। जम्मू-कश्मीर के बडगाम और नगरोटा, राजस्थान के अंता, झारखंड के घाटशिला, तेलंगाना के जुबली हिल्स, पंजाब के तरनतारन, मिजोरम के डम्पा और ओडिशा के नुआपाड़ा निर्वाचन क्षेत्रों में मंगलवार को वोट डाले गए। जम्मू-कश्मीर की नगरोटा विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए मंगलवार को शाम तीन बजे तक 65 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ।

इस संबंध में अधिकारियों ने बताया कि जम्मू जिले के निर्वाचन क्षेत्र में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच 154 मतदान केंद्रों पर सुबह सात बजे मतदान शुरू हुआ और अब तक किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है। निर्वाचन क्षेत्र के मतदान केंद्रों पर लंबी कतारें देखी गईं। विधायक देवेंद्र सिंह राणा के निधन के कारण यह उपचुनाव हो रहा है।

नगरोटा विधानसभा सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय है, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) और जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी (जेकेएनपीपी) शामिल हैं। भाजपा ने पूर्व विधायक देवेंद्र सिंह राणा की बेटी देवयानी राणा को मैदान में उतारा है। देवेंद्र सिंह राणा के निधन के कारण यह उपचुनाव हो रहा है। राणा का मुकाबला नेशनल कॉन्फ्रेंस की उम्मीदवार और जिला विकास परिषद (डीडीसी) की मौजूदा सदस्य शमीम बेगम और जेकेएनपीपी के अध्यक्ष हर्ष देव सिंह से है। हर्ष देव सिंह राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री और रामनगर से तीन बार विधायक रह चुके हैं।

राजस्थान में बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए मतदान खत्म हो गया। शाम तीन बजे तक 64 प्रतिशत से अधिक लोगों ने वोट डाला। निर्वाचन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव लिए शांतिपूर्ण माहौल में मतदान हुआ। उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अंता विधानसभा उपचुनाव के लिए मोरपाल सुमन को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस की ओर से पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया चुनाव मैदान में हैं। यह सीट भारतीय जनता पार्टी के विधायक कंवरलाल मीणा को अयोग्य घोषित किए जाने के कारण खाली हुई है।

मिजोरम के मामित जिले की डाम्पा विधानसभा सीट पर उपचुनाव में मंगलवार दोपहर तीन बजे तक 75.15 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान किया। अगले वर्ष होने वाले निकाय चुनाव से पूर्व यह उपचुनाव सत्तारूढ़ जोराम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के लिए एक परीक्षा माना जा रहा है। जुलाई में एमएनएफ विधायक ललरिंतलुआंगा सैलो के निधन के बाद इस उपचुनाव की जरूरत उत्पन्न हुई।

ओडिशा की नुआपाड़ा विधानसभा सीट पर भी मतदान खत्म हो गया है। वैसे तो उपचुनाव के परिणाम से राज्य की सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), विपक्षी बीजू जनता दल (बीजद) और कांग्रेस के लिए यह राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि पिछले साल पार्टी द्वारा अपने दम पर पहली बार सरकार बनाने के बाद से यह राज्य में पहला चुनावी मुकाबला है। उपचुनाव से पहले कम से कम छह बार नुआपाड़ा का दौरा कर चुके मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। इसी तरह, इस चुनाव को बीजद अध्यक्ष नवीन पटनायक के राज्य की राजनीति में निरंतर प्रभाव की परीक्षा के रूप में भी देखा जा रहा है।

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झारखंड की घाटशिला विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए मतदान खत्म हो गया है। यह उपचुनाव सत्तारूढ़ झामुमो और भाजपा के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गया है। हालांकि, चुनाव परिणाम का सरकार पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि 81 सदस्यीय राज्य विधानसभा में झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन के पास फिलहाल 55 विधायक हैं जबकि भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के पास 24 विधायक हैं। झामुमो विधायक और पूर्व शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के 15 अगस्त को निधन के बाद इस विधानसभा सीट पर उपचुनाव आवश्यक हो गया था।

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