आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। मां-बाप के लिए उसकी संतान जहां हमेशा खास होती है, वहीं उनके दिल में औलाद की तमन्ना पूरी करने के लिए गजब का जज्बा। कुछ इसी तरह की कोशिशों के चलते आज एक मां-बाप ने अपने 21 साल के बेटे साहिल सिंह को बर्थ-डे पर उसका मनचाहा गिफ्ट दिया। स्पेशल (मानसिक रूप से कमजोर) साहिल को उनकी कोशिशों के चलते पीजीआई कोतवाली का दो घंटे के लिए थानेदार बनाया गया। स्पेशल युवक की बचपन की इच्छा पूरी करने में राजधानी की पुलिस ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
थानेदार बनने के बाद साहिल में गजब का आत्मविश्वास नजर आया। उसने जहां एक ओर गलती करने वाले मातहतों की क्लॉस लगायी तो दूसरी ओर सड़क पर लोगों को ट्रैफिक नियमों के बारे में भी बताया। साहिल की हसरत पूरी होती देख इस मौके पर मौजूद उसके माता-पिता के चेहर पर खुशी के साथ ही सुकून भी था।
साहिल के आज कोतवाली का चार्ज संभालने के बाद परिसर में अलग सी हलचल थी। कोतवाली में मौजूद पुलिसकर्मी अपने 21 साल के टीम लीडर का निर्देश मान रहे थे। कोतवाल की कुर्सी पर बैठने के बाद साहिल ने पुलिस कर्मियों के साथ मीटिंग कर मातहतों से जानकारी मांगी और उन्हें सुझाव भी दिए। मौके पर मौजूद इंस्पेक्टर अरुण कुमार राय साहिल को बीच-बीच में पुलिस के तौर-तरीकों के बारे में बताते रहे।
कार्यालय का किया निरीक्षण, फरियाद भी सुनी
पुलिस की कार्यप्रणाली को ठीक से समझने के लिए साहिल ने कोतवाली कार्यालय का निरीक्षण कर वहां की कार्य प्रणाली के बारे में जानने की कोशिश की। उसका जोर इस बात पर भी था कि एफआईआर की प्रक्रिया क्या है। जिसे निरीक्षक अरुण कुमार राय ने उसे समझाया। साथ ही साहिल ने थाने में तहरीर लेकर आए लोगों से उनकी समस्याओं को सुन उसे तुरंत निपटाने का निर्देश दिया।
इसके बाद कोतवाल की जीप से साहिल ने इलाके में गश्त की। गश्त के दौरान जहां उसने यातायात व्यवस्था देखी वहीं जीप में लगे वॉयरलेस की कार्यप्रणाली भी समझी। इसके अलावा पुलिस कर्मियों के साथ गश्त पर निकले साहिल ने लोंगो को यातायात नियमों बताने के साथ ही उसे पालन करने के लिए भी कहा। सड़क पर गाड़ी खड़ी कर दुकान से सामान खरीदने वालों को ऐसा न करने की नसीहत दी।
वर्दी पहनने के बाद अलग अंदाज में नजर आ रहे साहिल ने बिना टोपी पहने ड्यूटी कर रहे पुलिस कर्मियों की क्लॉस लगाते हुए उन्हें टोपी पहनने को भी कहा। इसके अलावा पीजीआई पहुंचें साहिल ने वहां के निदेशक प्रो. राकेश कपूर से उनके कार्यालय में मुलाकात की, इस दौरान साहिल के चेहरे पर खुशी के साथ ही आत्मविश्वास भी था।
मां-बाप हैं डॉक्टर, ऐसे पहुंचा साहिल थानेदार की कुर्सी तक
साहिल के पिता डॉ. रजनीश कुमार सिंह पीजीआई के गैस्ट्रो सर्जरी विभाग में प्रोफेसर हैं। इसके अलावा उसकी मां भावना सिंह भी डॉक्टर हैं। रजनीश सिंह ने बताया कि साहिल टेलीविजन चैनलों पर पुलिस को देखकर पुलिस मैन बनने की जिद करता था, लेकिन हमें मालूम था कि जन्म से ही मानसिक रूप से कमजोर होने के चलते उसकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकती। उसके इक्कीसवें जन्मदिन पर उसकी इच्छा पूरी करने के लिए पीजीआई के निदेशक प्रो. राकेश कपूर की मदद से उच्चाधिकारियों से बात कर साहिल की तमन्ना बताई गयी। जिसे वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने सहर्ष स्वीकार कर साहिल को पुलिसकर्मी बनाने की इजाजत दे दी। इसके बाद उसकी वर्दी सिलवाई गयी।
शारीरिक रूप से फिट साहिल ऑस्ट्रेलिया में जीत चुका है तैराकी में सिल्वर मेडल
पिता ने बताया कि साहिल मानसिक रूप से कमजोर है, लेकिन शरीर से पूरी तरह से फिट है। 2013 में स्पेशल बच्चों के आस्ट्रेलिया में हुई तैराकी प्रतियोगिता में 50 मीटर इवेंट में उसने सिल्वर मेडल जीता था। एनआईओएस से दो साल पहले हाईस्कूल पास करने के बाद अब साहिल इंटर की तैयारी कर रहा है। इसके अलावा योगा करने में एक्सपर्ट साहिल गोमतीनगर स्थित स्टडी हॉल स्कूल में योगा टीचर के लिए ट्रेनिंग भी पूरी कर रहा है। वहीं पुलिस विभाग की इस पहल के लिए रजनीश सिंह ने एसएसपी दीपक कुमार, इंस्पेक्टर पीजीआई अरुण कुमार राय, एसआई सतीश कुमार सिंह सहित पूरे स्टाफ का आभार जताया।