अब सरकारी आवास में पुलिसकर्मी की गोली लगने से मौत, सुसाइड का अंदेशा, सवाल भी उठें

पुलिसकर्मी की मौत
कुछ इस हाल में कमरें में मिली थी रामरतन की लाश।

आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ। हाल ही में एटीएस के एएसपी राजेश साहनी की एटीएस मुख्‍यालय में हुई मौत की वजह पूरी तरह से साफ भी नहीं हुई थी कि शनिवार को आलमबाग इलाके में एक और पुलिसकर्मी की गोली लगने से मौत हो गयी। डायल 100 में तैनात सीनियर हेडकांस्टेबल (एचसीपी) के पद पर तैनात रामरतन वर्मा (55) की लाश उनके सरकारी आवास में मिली। जबकि पास में ही उनकी लाइसेंसी बंदूक भी पड़ी हुई थी। समझा जा रहा है कि रामरतन ने सुसाइड किया है।

हालांकि सुसाइड नोट नहीं मिलने और उनके जान देने की कोई ठोस वजह सामने नहीं आने के चलते आत्‍महत्‍या की बात अभी पूरी तरह से पुख्‍ता नहीं होने के साथ ही सवाल भी उठ रहें हैं। वहीं सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्‍टमॉर्टम के लिए भेजने के साथ ही उनकी बंदूक व मोबाइल कब्‍जे में लेकर जांच शुरू कर दी है।

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बताया जा रहा है कि मूल रूप से रायबरेली स्थित मुलीहामऊ गांव के निवासी रामरतन वर्मा हरदोई जनपद में डॉयल 100 में तैनात थे। जबकि उससे पहले राजधानी में ही जीआरपी में तैनात थे जिसके चलते वर्तमान में रामरतन आलमबाग इलाके में स्थित लोको चौराहे के पास विभाग द्वारा मिले जीआरपी बैरक में रहते थे। पास ही बैरक में अमीनाबाद थाने में तैनात चल रहे एसआइ देव प्रकाश यादव भी रहते हैं।

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देव प्रकाश ने मीडिया को बताया कि शनिवार भोर में करीब चार बजे वह ड्यूटी से लौटे तो देखा कि रामरतन के कमरे की लाइट जल रही है, साथ ही दरवाज भी खुला था। इस पर उन्‍होंने कमरें में झांका तो कमरे में बिस्‍तर पर रामरतन का खून से लथपथ पर लाश पड़ी थी, जबकि जमीन पर उनकी एक नाल वाली लाइसेंसी बंदूक थी। जिसके बाद उन्‍होंने पुलिस को घटना की जानकारी दी।

दहिनी कनपटी पर सटाकर मारी गयी गोली

इंस्‍पेक्‍टर आलमबाद ने बताया कि मामला सुसाइड का है। पोस्‍टमॉर्टम रिपोर्ट में भी इस बात की पुष्टि हुई है कि गोली दाहिनी कनपटी पर सटाकर मारी गयी है। अमूमन आत्‍महत्‍या करने वाला ही तन से असलहे की नाल सटाकर गोली चलाता है। हालांकि पुलिस अभी ये पता लगा रही है कि रामरतन वर्मा ने आखिर सुसाइड क्‍यों की।

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वहीं पोस्‍टमॉर्टम हाउस पहुंचे रामरतने के भाई लक्ष्मीकांत वर्मा ने मीडिया से कहा कि रामायण पाठ में शामिल होने के लिए 22 मई की शाम रामरतन बिना छुट्टी के अपने गांव पहुंचे थे। लेकिन अगले दिन तड़के तीन बजे ही ड्यूटी पर चले गए। उन्‍होंने छुट्टी न मिलने से इस्तीफा देने की बात भी कही थी।

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मौत के पीछे जिम्‍मेदार कौन बीमारी, प्रताड़ना या फिर कुछ और ?

रामरतन की मौत को भले ही पुलिस सुसाइड बता रही लेकिन कई सवाल भी उठ रहें हैं। परिजनों का कहना था कि उनसे 20 घंटे ड्यूटी ली जाती थी। विभाग में उनको प्रताडि़त किया जाता था जिसकी वजह से अब वह नौकरी तक नहीं करना चाहते थे, जबकि पुलिस का कहना है कि रामरतन को पेट से संबंधित बिमारी थी, जिसकी वजह से उन्‍होंने आत्‍महत्‍या की होगी।

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वहीं इन सबके बीच सवाल और भी उठ रहा है कि रामरतन ने अगर खुद जान दी है तो आसपास के बैरक में रहने वालों ने गोली चलने की आवाज क्‍यों नहीं सुनी। उनके मोबाइल पर खून के भी धब्‍बे थे, जिससे ये समझा जा रहा है कि गोली लगने के बाद उन्‍होंने किसी को फोन करने की कोशिश की होगी। प्रत्‍यक्षदर्शी इस बात पर भी सवाल उठा रहे थे कि बंदूक से गोली मारकर सुसाइड करने वाला व्‍यक्ति अमूमन अपनी ठुड्डी के नीचे नाल सटाकर फॉयर करता है, जबकि रामरतन को गोली कनपटी पर लगी थी।

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