आरयू एक्सक्लूसिव,
लखनऊ। संदिग्ध हालात के बीच राजधानी में जान गंवाने वाले कर्नाटक कैडर के आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी (36) के विसरे की रिपोर्ट पर जहां काफी हद तक मौत की गुत्थी सुलझने की उम्मीद जताई जा रही है। वहीं उनके पोस्टमॉर्टम में केजीएमयू की मॉच्युरी में बड़ी गड़बड़ी करने की बात सामने आई है।
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डॉक्टरों ने इस सनसनीखेज मामले में अनुराग तिवारी का विसरा वॉयल की जगह कबाड़ के जार में ही भरवा दिया था। डॉक्टरों और पोस्टमॉर्टम हाउस के कर्मचारियों की इस गड़बड़ी के चलते अब फारेंसिक साइंस लेबॉरेट्री (एफएसएल) से रिपोर्ट आने में कम से कम 30 दिन लग जाएंगे। वहीं मामला खुलने के बाद अब जिम्मेदार जवाब देने से भाग रहें हैं।
मॉच्युरी के सूत्र की माने तो पोस्टमॉर्टम हाउस में अनुराग तिवारी के पीएम के दौरान कई सारे मानकों की जाने या अनजाने अनदेखी की गई है। कुछ बातें तो पीएम की वीडियो रिकर्डिंग के दौरान भी कैमरे में कैद हुई है। सिर्फ वीडियों का ही विशेषज्ञों ने निरीक्षण कर लिया तो कई चौंकाने वाली चीजे सामने आ जाएंगी।
FSL ने दी थी मॉच्युरी के फार्मासिस्ट को ट्रेनिंग
एफएसएल निदेशक एसबी उपाध्याय ने बताया कि इस्तेमाल किए गए फाइबर के जार की जगह वॉयल में विसरा प्रिजर्व करने के लिए पहले भी लिखा जा चुका है। साथ ही मॉच्युरी के फार्मासिस्ट को वॉयल में विसरा प्रिजर्व करने की कुछ महीने पहले ट्रेनिंग तक दी जा चुकी है।
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इसके बाद भी इतने गंभीर मामलों में ऐसा क्यों किया गया यह पोस्टमॉर्टम करने और कराने वाले ही बता सकते हैं। वॉयल में विसरा होता तो 10-15 दिन में रिपोर्ट दी जा सकती थी, लेकिन बड़े-बड़े जारों में भरे गए ज्यादा कंटेन्ट की वजह से अब कम से कम 30-35 दिन लग जाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि जांच में दूसरे राज्यों के एफएसएल से भी डॉक्टर शामिल होंगे।
महफूज नहीं हैं फाइबर के जार
एफएसएल के जानकार बताते हैं कि कबाड़ में मिलने वाले जार विसरा प्रिजर्व करने के लिए किसी भी नजरिए से सेफ नहीं हैं। विसरे में तरह-तरह के विष होते हैं, जो डिब्बे में जाने के बाद केमिकल्स रिएक्शन का खतरा बढ़ाते हैं। इन हालत में विसरा रिपोर्ट के प्रभावित होने की भी संभावना रहती है। साथ ही जार में सीरिंज के माध्यम से किसी केमिकल को इंजेक्ट करके विसरे की पूरी रिपोर्ट ही बदली जा सकती है।
क्या और कितना जाना चाहिए
जारी की गई गाइडलाइन के अनुसार वॉयल में स्टमक टीशू, आंत, लीवर और स्पलीन का टुकड़ा 50-50 ग्राम, स्टमक कंटेन्ट 50 एमएल, खून व यूरिन 20-20 एमएल विसरे के रूप में पोस्टमॉर्टम हाउस से विधि विज्ञान प्रयोगशाला जांच के लिए भेजा जाना चाहिए।
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इसलिए वॉयल के लिए जारी हुए थे निर्देश
दो साल पहले तत्कालीन एडीजी तकनीकी सेवा राजकुमार विश्वकर्मा ने प्रदेशभर के पोस्टमॉर्टम हाउस को निर्देश जारी किया था कि 1 जुलाई 2015 से वॉयल में ही बेहद सीमित मात्रा में विसरा प्रिजर्व किया जाए। जिससे कि लगभग 40 दिन की जगह 10 से 15 दिन में एफएसएल रिपोर्ट दे सके। साथ ही बड़े-बड़े जारों की अपेक्षा बेहद छोटे साइज के वॉयल को लाने, ले जाने के साथ ही रख रखाव में भी आसानी हो।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
दूसरी बार मॉच्युरी का चार्ज संभाल रहें फार्मासिस्ट प्रभारी एसएस पवार का कहना है कि इस बारे में सीएमओ ही बता पाएंगे कि ऐसा क्यों किया गया। वहीं पोस्टमॉर्टम के दौरान मॉच्युरी में मौजूद रहने वाले सीएमओ जीएस वाजपेयी ने दावा किया कि यह टेक्निकल मामला इस पर वह कुछ नहीं कह सकते।
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अनुराग तिवारी के बड़े भाई मयंक तिवारी ने बताया कि हम लोगों को तो पहले ही पोस्टमॉर्टम हाउस में मौजूद लोगों की गतिविधियों ठीक नहीं लग रही थी। एक व्यक्ति वहां कह रहा था जो करना है दस मिनट में निपटाओं। इसके अलावा यह भी जानकारी मिली है कि किसी ने डॉक्टरों को पूरी पीएम रिपोर्ट ही नहीं लिखने दी। यही वजह है हम लोगों ने मीडिया और परिवार के सामने पीएम कराने की मांग रखी थी, लेकिन पोस्टमॉर्टम हाउस में अनसुना कर दिया गया। सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलने का समय मिल गया है, उनके सामने सारी गड़बडि़यों को रखा जाएगा। इसके साथ ही हम लोगों ने पीएमओ को लिखकर सीबीआई जांच की भी मांग की है।