#40Month: IAS अनुराग तिवारी की मौत के मामले में कोर्ट ने खारिज कि CBI की क्‍लोजर रिपोर्ट, “परिजन बोले, फिर जागी इंसाफ की उम्‍मीद”

क्लोजर रिपोर्ट खारिज
अनुराग तिवारी। (फाइल फोटो)

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। करीब 40 महीना पहले राजधनी लखनऊ में संदिग्‍ध परिस्थितियों में जान गंवाने वाले कर्नाटक कैडर के आइएएस अफसर अनुराग तिवारी की मौत का मामला एक बार फिर ताजा हो गया है। गुरुवार को सुब्रत पाठक कि स्‍पेशल कोर्ट ने सीबीआई की क्‍लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए मामले की पुनर्विवेचना के आदेश दिए हैं।

आज इस बात की जानकारी देते हुए अनुराग तिवारी के बड़े भाई मयंक तिवारी की अधिवक्‍ता नूतन ठाकुर ने मीडिया को बताया कि कर्नाटक कैडर के आइएएस अफसर अनुराग तिवारी की रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मौत के संबंध में उनके भाई मयंक तिवारी द्वारा दायर प्रोटेस्ट याचिका को कोर्ट ने स्‍वीकार करते हुए क्‍लोजर रिपोर्ट खारिज कर दी है। साथ ही कोर्ट ने मामले की अग्रिम विवेचना के आदेश दिए हैं।

वहीं कोर्ट का फैसला अपने पक्ष में आने पर लगभग सवा तीन साल से अनुराग तिवारी की हत्‍या किए जाने कि बात दोहराने वाले  बड़े भाई मयंक तिवारी ने संतोष व्‍यक्‍त करते हुए कोर्ट को धन्‍यवाद दिया। मयंक ने कहा है कि उनके परिवार को एक बार फिर इंसाफ मिलने की उम्‍मीद जागी है।

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मयंक ने आज एक बार फिर सीबीआइ की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि सीबीआइ अपनी लंबी जांच में न सिर्फ घरवालों के सवालों के जवाब दे सकी और न ही उन लोगों द्वारा बताए गए अधिकतर बिंदुओं पर जांच की। यहां तक कि सीबीआइ ने परिजनों के बयान को भी अपनी रिपोर्ट में तोड़ मरोड़कर पेश किया।

सीबीआइ आज तक नहीं खोल पाई अनुराग का आइपैड

मयंक तिवारी ने कहा कि अनुराग हमेशा अपने मोबाइल व दूसरे गैजेट में स्‍पेशल लॉक लगाकर रखते थे, लेकिन मौत के बाद उनका एक मोबाइल खुला मिला था, उसे अनलॉक किसने किया इसका जवाब अभी तक सीबीआइ नहीं दे सकी, साथ ही अनुराग का आइपैड आज भी लॉक है, उसे भी सीबीआइ आज तक नहीं खोल सकी है, जबकि आइपैड के अनलॉक होने पर उससे काफी क्‍लू मिल सकता था।

मयंक के अनुसार सीबीआइ अब तक मामले की जांच में मनमानी ही करती आयी थी, जिसे कोर्ट ने भी समझते हुए समय-समय पर जांच की अपडेट कोर्ट को उपलब्‍ध कराने के लिए भी सीबीआइ को आदेश दिए हैं।

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वहीं अधिवक्‍ता नूतन ठाकुर ने बताया सीबीआइ ने पूर्व में यह कहते हुए केस बंद कर दिया था कि अनुराग तिवारी द्वारा किसी बड़े घोटाले का पर्दाफाश करने या उनके बड़े अफसरों द्वारा मौत का डर होने के आरोपों की मौखिक, लिखित तथा तकनीकी साक्ष्यों से पुष्टि नहीं हो सकी।

उनकी ओर से कोर्ट को बताया गया था कि सीबीआइ ने विवेचना के कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को नजरअंदाज किया और पूरी विवेचना इस केस को दुर्घटना बताने के उद्देश्य से की गयी। इस प्रकिया में सीबीआइ ने कई तथ्यों एवं साक्ष्यों को दरकिनार किया, कई महत्वपूर्ण फॉरेंसिक साक्ष्यों को छोड़ दिया एवं पोस्टमार्टम रिपोर्ट की भी जानबूझ कर गलत व्याख्या की।

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उन्होंने बताया कि प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र में विवेचना की समस्त खामियों को प्रस्तुत करते हुए अंतिम रिपोर्ट को निरस्त कर एसपी रैंक के अधिकारी से विवेचना करवाए जाने की प्रार्थना की गयी थी। कोर्ट ने इन तथ्यों के आधार पर क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर अग्रिम विवेचना के आदेश दिए हैं।

जानें कब-कब क्‍या हुआ-

महज 36 वर्षीय आइएएस अफसर अनुराग की लाश उनके ही जन्‍मदिन पर 17 मई 2017 को हजरतगंज के मीरा बाई गेस्‍ट हाउस से कुछ दूरी पर सड़क पर मिली थी। लाश मिलने से पहले अनुराग अपने बैच मेट व तत्‍कालीन एलडीए वीसी प्रभु एन सिंह के साथ मीराबाई गेस्‍ट हाउस के एक कमरे में ठहरे थे।

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ईमानदार व तेज-तर्रार आइएएस अफसरों में शुमार अनुराग की इस तरह से हुई मौत व शुरूआती जांच करने वाली  लखनऊ पुलिस की लापरवाही सामने आने के बाद मचे हंगामे व परिजनों की मांग पर जांच सीबीआइ को सौंपी गयी थी।

करीब 20 महीनों की जांच के बाद पिछले साल 20 फरवरी को सीबीआइ ने कोर्ट में क्‍लोजर रिपोर्ट दाखिल करते हुए अनुराग तिवारी की मौत को हादसा बताया था। जिसे परिजनों ने तत्‍काल ही खारिज कर दिया था। वहीं क्‍लोजर रिपोर्ट दाखिल करने के बाद करीब दस हजार पेजों के सपोर्टिंग डॉक्‍यूमेंट कोर्ट में जमा करने में सीबीआइ को लगभग चार महीने लगे थे।

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परिजनों ने क्‍लोजर रिपोर्ट के सपोर्टिंग डॉक्‍यूमेंट का अध्‍यन कर पिछले साल 16 सितंबर को सीबीआइ के विशेष न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट के सामने अनुराग के मयंक तिवारी ने प्रोटेस्‍ट प्रार्थना दायर कर क्‍लोजर रिपोर्ट को चैलेंज किया था। जिसके बाद करीब 11 महीने तक चली कोर्ट प्रक्रिया के बाद क्‍लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया गया है।

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