IAS अनुराग तिवारी की मौत के मामले में भाई ने कोर्ट में दायर किया प्रोटेस्‍ट, कहा हत्‍या को हादसा बताने के मकसद से CBI ने की जांच

क्लोजर रिपोर्ट खारिज
अनुराग तिवारी। (फाइल फोटो)

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। राजधानी लखनऊ में करीब 28 महीना पहले संदिग्‍ध परिस्थितियों में जान गंवाने वाले आइएएस अफसर अनुराग तिवारी की मौत का मामला एक बार फिर गर्माता नजर आ रहा है। सोमवार को सीबीआइ के विशेष न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट के सामने अनुराग के भाई मयंक तिवारी ने प्रोटेस्‍ट प्रार्थना पत्र जारी करते हुए न सिर्फ सीबीआइ पर संगीन आरोप लगाएं हैं, बल्कि पोस्‍टमॉर्टम रिपोर्ट और एम्‍स के डॉक्‍टरों के पैनल के ऑर्ब्‍जवेशन रिपोर्ट को भी सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। प्रार्थना पत्र में भाई ने न्‍याय के लिए कम से कम सीबीआइ के एसपी स्‍तर के अधिकारी से मामले की दोबारा जांच करवाए जाने की मांग की है। मामले की अगली सुनवाई अगामी दस अक्‍टूबर को होगी।

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मयंक की अधिवक्‍ता डॉ. नूतन ठाकुर ने सीबीआइ पर संगीन आरोप लगाते हुए कहा कि सीबीआइ ने विवेचना के कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को न सिर्फ नजरंदाज किया, बल्कि पूरी विवेचना ही पूर्वाग्रह दृष्टिकोण के साथ इस केस को दुर्घटना बताने के उद्देश्य से पूरी भी किया। इस प्रकिया में सीबीआइ ने कई महत्वपूर्ण फॉरेंसिक सबूतों को दरकिनार कर दिया। इतना ही नहीं पोस्टमार्टम रिपोर्ट की भी सीबीआइ ने जान-बूझकर गलत व्याख्या की। एडवोकेट नूतन ने बताया कि प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र में विवेचना की समस्त खामियों को प्रस्तुत करते हुए अंतिम रिपोर्ट को निरस्त कर एसपी रैंक के अधिकारी से विवेचना करवाए जाने की कोर्ट से प्रार्थना की गयी है।

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वहीं मयंक तिवारी ने कहा कि हालात को देखते हुए उन लोगों को जहां पहले से अनुराग तिवारी की हत्‍या किए जाने का पूरा अंदेशा था। वहीं सीबीआइ ने कुछ महीने पहले ही क्‍लोजर रिपोर्ट के करीब दस हजार पेजों के सपोर्टिंग डाक्‍यूमेंट कोर्ट में जमा किए हैं, जिनकों पढ़ने के बाद तस्‍वीर और भी साफ हो गयी है। घटना के बाद सीबीआइ ने मामले के संबंध में परिजनों के जो बयान दर्ज किए थे, उनमें से कई महत्‍वपूर्ण बिन्‍दुओं को कोर्ट में दर्शाया ही नहीं है। साथ ही उन लोगों ने जिन चार लोगों पर हत्‍या में शामिल होने का संदेह जताया था, उनमें से भी मात्र एक से ही सीबीआइ ने पूछताछ की है।

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इसके अलावा पोस्‍टमॉर्टम रिपोर्ट में जहां अनुराग की हत्‍या करने वाली एक चोट का जिक्र ही नहीं किया गया है, वहीं दूसरी ओर उनके भाई की हत्‍या को हादसा बताने वाले एम्‍स के डॉक्‍टरों के ऑर्ब्‍जवेशन में लिखा गया है कि अनुराग तिवारी के कपड़ों पर स्‍मूदरिंग (दम घुटना) के कोई साक्ष्‍य नहीं मिले हैं, जबकि सच्‍चाई ये है कि घटना के चंद दिनों बाद ही लखनऊ पुलिस ने उन लोगों को बताया था कि मौत के समय अनुराग के पहने गए कपड़े गलती से नष्‍ट हो चुके हैं।

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इन सबको देखते हुए उन्‍होंने सीबीआइ की क्‍लोजर रिपोर्ट व उसके सपोर्टिंग डाक्‍यूमेंटस के अलावा पोस्‍टमॉर्टम रिपोर्ट व एम्‍स के डॉक्‍टरों के आर्ब्‍जवेशन रिपोर्ट में संदेह पैदा करने वाले लगभग दो दर्जन बिन्‍दुओं पर अपने प्रोटेस्‍ट प्रार्थना पत्र मेंं आपत्ति जताते हुए मामले की दोबारा जांच करवाने कि कोर्ट से मांग की है।

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