आरयू एक्सक्लूसिव,
लखनऊ। आइएएस अफसर अनुराग तिवारी की मौत के मामले में 20 महीने की जांच के बाद सीबीआइ द्वारा क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने के अगले दिन उनके भाई ने सीबीआइ की कार्य प्रणाली पर सीधे तौर पर सवाल खड़े किए हैं। बड़े भाई मयंक तिवारी ने गुरुवार को जहां एक बार फिर अनुराग तिवारी की हत्या किए जाने की बात को दोहराया है, वहीं न्याय पाने और अनसुलझे सवालों के जवाब जानने के लिए सीबीआइ की अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जाने की बात भी कही है।
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गुरुवार को Rajdhaniupdate.com से बातचीत के दौरान मयंक तिवारी ने कहा कि उनके परिवार को आज भी पूरा यकीन है कि अनुराग की हत्या की गयी है, लेकिन शुरूआत से लेकर अब तक अनुराग की मौत के मामले में लापरवाही और परिवारवालों को भ्रमित करने की कोशिश की गयी। अब सीबीआइ ने गुपचुप तरीके से क्लोजर रिपोर्ट लगाकर खानापूर्ति कर दी, जिसके चलते अनुराग की मौत से जुड़े कई सवालों के जवाब अभी सामने ही नहीं आ सकें हैं।
इन सवालों का जवाब ढूंढ रहें अनुराग के घरवालें-
मयंक ने सीबीआइ की क्लोजर रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि एम्स के जिस डॉक्टर की रिपोर्ट को आधार बनाकर मौत की वजह गिरना बताया जा रह है। उसी डॉक्टर ने अनुराग की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में दर्शाए गए लक्षणों के बारे में छात्रों को पढ़ाते हुए उसे स्मूदरिंग (दम घुटना) के लक्षण बताएं हैं, तो फिर अनुराग के मामल में ये बदलाव क्यों?
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लाश मिलने से पहले वाली रात को अनुराग ने करीब दस बजे खाना खाया थ। पोस्टमॉर्टम के दौरान पेट से साढ़े चार सौ ग्राम अधपचा खाना भी मिला था। डॉक्टरों के अनुसार इसका मतलब उनकी मौत रात एक से दो बजे के आसपास हो गयी होगी, जबकि उनका शव सुबह साढ़े पांच बजे मिला था। रात दो से साढ़े पांच के बीच लाश कहां थी?
भाई के अनुसार अनुराग अपना मोबाइल हमेशा लॉक रखते थे, लेकिन उनकी मौत के बाद जब परिजनों को मोबाइल मिला तो वो खुला था। साथ ही मोबाइल का डेटा भी डिलीट किया जा चुका था, उनका मोबाइल किसने और कैसे खोला, साथ ही डेटा किसने डिलीट किया?
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मयंक ने सीबीआइ की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि सीबीआइ ने एम्स के पैनल को लखनऊ लाने से पहले ही इस बात का ढिंढोरा पीट दिया था, जांच के लिए टीम आने वाली है, ये बात बहुत सारे लोग जान गए थे, इस हालत में कैसे मान लिया जाए कि उसे कोई मैनेज नहीं कर सकता?
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साथ ही मौत के बाद अनुराग के बैंगलोर स्थित घर का ताला तोड़कर कागजात चोरी कर लिए गए थे, जिसके बारे में उन्होंने स्थानीय संजय नगर थाने में मुकदमा भी दर्ज कराया था, लेकिन सीबीआइ ने बेहद महत्वपूर्ण नजर आ रहे इस बिंदु की भी अनदेखी क्यों की?
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शव पर मिली चोटों का जिक्र करते हुए मयंक ने कहा कि अनुराग के होठ पर अंदर की तरफ चोट थी, जबकि सड़क पर गिरने के चलते ये चोट बाहर हो सकती थी, इसके अलावा उनके चारों हाथ-पैर पर कसकर पकड़े जाने के निशान थे, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उन निशानों को मौत से पहले का बताया गया है, ऐसे निशान उनकी हत्या के बाद शव को उठाने के दौरान बन सकते हैं, साथ ही उनकी ठुड्डी के निचले हिस्से में गले की तरफ भी चोट थी जहां से खून भी बहा था, ये चोट ऐसी जगह थी कि गिरने पर शरीर का वो हिस्सा जमीन को छू ही नहीं सकता, वो भी तब, जब सड़क पूरी तरह से समतल हो?
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मयंक ने कहा कि इन सबके अलावा भी अगर सीबीआइ ने पूरी ईमानदारी से काम किया है तो उसने गुपचुप तरीके से क्लोजर रिपोर्ट क्यों दाखिल की? साथ ही अब सीबीआइ के अफसर परिवारवालों से बात करने और सवालों के जवाब देने से क्यों बच रहे हैं?
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पुलिस ने किया केस चौपट, सीबीआइ से थी उम्मीद लेकिन…
मयंक ने इस दौरान केस की शुरूआती में ही की गयी गड़बडि़यों की बात करते हुए कहा कि अनुराग तिवारी की मौत के बाद लखनऊ पुलिस ने कदम-कदम पर केस को खराब किया। अनुराग के कपड़े को जलाने से लेकर कमरे तक को साफ करवा दिया गया। साथ ही पोस्टमॉर्टम में भी लापरवाही बरती गयी। एक आइएएस अधिकारी की मौत के मामले में भी पुलिस की इतनी लापरवाही भरी कार्यप्रणाली को देखते हुए उनके परिवार ने सीएम योगी आदितयनाथ से मुलाकात कर न्याय की उम्मीद के साथ सीबीआइ से इस मामले की जांच कराने की मांग की थी, लेकिन सीबीआइ ने भी पूरी तरह से हम लोगों को निराश किया है।