आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आर्मी को लेकर लिए दिए बयान पर विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। कांग्रेस, सपा समेत तमाम विपक्षी दलों के हमला बोलने के बाद अब मायावती ने मोहन भागवत व राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) पर निशाना साधने के साथ ही सवाल उठाएं हैं।
बसपा सुप्रीमो ने मंगलवार को सेना और स्वयंसेवकों की तुलना वाले बयान को बेहद अपमानजनक बताते हुए अपने एक बयान में पूछा है कि अगर मोहन भागवत को अपने मिलिटेन्ट स्वयंसेवकों पर इतना ज्यादा भरोसा है तो उन्होंने खुद अपनी सुरक्षा के लिए सरकारी खर्चे पर विशेष कमाण्डों क्यों लिए हैं।
बयान के लिए देश से मांगे माफी
मायावती ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आगे कहा कि ऐसे समय में जबकि भारतीय सेना को विभिन्न प्रकार की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, आरएसएस प्रमुख का बयान सेना मनोबल गिराने वाला है, जिसकी इजाजत उन्हें कतई नहीं दी जा सकती है। उन्हें अपनी गलत बयानबाजी के लिए देश से मांफी मांगनी चाहिए।
तेजी से राजनीतिक संगठन में बदल रहा आरएसएस
वहीं मायावती ने अपने बयान में यह भी कहा कि मोहन भागवत को स्वंयसेवकों के बारे में अब यह भ्रम दूर कर लेना चाहिए कि वे लोग निःस्वार्थ काम कर रहे हैं, क्योंकि आरएसएस अब एक सामाजिक संगठन नहीं रहकर तेजी के साथ राजनीतिक संगठन बनता जा रहा है। यहीं वजह है कि स्वंयसेवक सामाजिक सेवा को ताक पर रखकर पूरी तरह से बीजेपी की चुनावी राजनीति करने में ही व्यस्त नजर आते हैं।
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बताते चलें कि मोहन भागवत ने रविवार को बिहार के मुज्जफरपुर में एक मंच से कहा था कि संविधान इजाज दे तो आरएसएस सीमा पर भी जाने को तैयार है। सेना को तैयारी करने के लिए छह से सात महीने लगेंगे जबकि आरएसएस तीन दिन में तैयार हो जाएगी। यह उनकी शक्ति है। जिसके बाद से मोहन भागवत के इस बयान पर हंगामा मचा है।
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